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श्री गंगानगर

तपिश में सूखे कंठ तर करने को राबड़ी-छाछ का सहारा

– जौ के घाट और बाजरी के आटे की राबड़ी है गुणों से भरपूर
तपिश में सूखे कंठ तर करने को राबड़ी-छाछ का सहारा

श्री गंगानगरMay 24, 2024 / 01:00 pm

surender ojha

श्रीगंगानगर. भीषण गर्मी और हीट वेव से सूखे कंठ तर करने के लिए इन दिनों लोग राबड़ी और छाछ का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। हीट वेव से बचने के लिए चिकित्सक भी इनके सेवन की सलाह दे रहे हैं। इन दिनों बोतल बंद शीतल पेय की तुलना में राबड़ी व छाछ की बिक्री बढ़ गई है। गर्म प्रदेश होने के कारण राजस्थान के ग्रामीण अंचल में छाछ-राबड़ी का सेवन हर घर मे होता है। शहरों में भी अब इनकी बिक्री होने लगी है। राबड़ी जौ के घाट और बाजरी के आटे से बनाई जाती है। दोनों के बनाने का तरीका एक जैसा है। जौ के घाट को छाछ में मिलाकर इसे मिट्टी के बरतन में भरकर धूप में रख देते हैं। कुछ घंटों में यह मिश्रण फरमेंट हो जाता है। बाद में इसे मिट्टी के बरतन में धीमी आंच पर पका कर रात भर छोड़ दिया जाता है। सुबह होने पर इसका सेवन किया जाता है। जौ के घाट की राबड़ी शरीर को ठंडक देती है और लू से बचाव करती है। राबड़ी के सेवन से भूख अच्छी लगती है, नींद अच्छी आती है और कब्ज को दूर कर पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है।

ऐसा करने से बढ़ जाता है स्वाद

राजस्थान में बाजरी के आटे की राबड़ी बनाई जाती है। गर्मी के मौसम में सालों से राबड़ी का सेवन कर रहे सेवानिवृत्त पटवारी मांगीलाल ढकरवाल ने बताया कि राबड़ी बनाने का सही तरीका यही है। दिन भर धूप में रखे मिश्रण को शाम के समय मिट्टी के बरतन में ही पकाया जाता है। सुबह यह खाने के लिए तैयार होती है। राबड़ी में पिसी हुई काली मिर्च और जीरा तथा बारीक कटा हुआ प्याज मिलाकर खाने से इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है।

छाछ-राबड़ी गुणों से भरपूर

सरकारी वैद्य विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि गर्मी के मौसम में छाछ-राबड़ी से बेहतर कोई अन्य शीतल पेय नहीं। राबड़ी की तरह छाछ भी पोषक तत्वों का भंडार है। इसके सेवन से एसिडिटी और पेट में जलन से राहत मिलती है। छाछ का सेवन करने से लू नहीं लगती। छाछ में विटामिन ए, बी,सी व ई पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो शरीर के लिए उपयोगी है।

बोतल बंद में बिकने लगी राबड़ी

श्रीगंगानगर शहर में इन दिनों डेयरियों की पॉली पैक छाछ की बिक्री में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। छाछ मीठी और नमकीन दो स्वादों में उपलब्ध है। बोतल बंद शीतल पेय से ज्यादा लोग छाछ का उपयोग कर रहे हैं। गांवों से छाछ खरीद कर मोबाइल रेहड़ियों पर उसकी बिक्री करने वाले भी गलियों में घूमने लगे हैं। राबड़ी की बिक्री भी मोबाइल रेहड़ियों पर हो रही है। दस रुपए और 20 रुपए प्रति गिलास की दर से छाछ-राबड़ी की बिक्री हो रही है।

पंडितजी की स्पेशल राबड़ी हुई चर्चित

सुखाडि़या सर्किल पर पनवाड़ी महेश सिखवाल शर्मा की पंडिजी की स्पेशल राबड़ी इलाके में ज्यादा पसंद की जाती है। राजस्थानी राबड़ी दिवस पर राबड़ी पिलाने का दौर चला। शर्मा के यहां राबड़ी पीने के लिए विधायक जयदीप बिहाणी और कई पुलिस कार्मिक भी पहुंचे। इन लोगों ने इस राबड़ी का स्वाद चखा। शर्मा ने बताया कि राजस्थानी मूल के कई परिवारों में राबड़ी घरों में रोजाना तैयार की जाती हैं। इस गर्मी में सुबह घर से निकलते समय लोग राबड़ी का ज्यादा सेवन करते है, इससे स्वास्थ्य पर गर्मी का असर नहीं रहता। राबड़ी के लिए करीब चौबीस घंटे का समय लगता है। जटिल प्रक्रिया होने के कारण ज्यादातर लोग शर्मा के यहां आकर राबड़ी खरीदते हैं। इलाके में ठेठ राजस्थानी व्यंजन राबड़ी के शौकीन काफी है। छाछ, बाजरी और मोट के आटे से बनाई गई इस राबड़ी में पुदीना, प्याज और जीरे का सेवन करने से गर्मी से मुकाबला किया जा सकता हैं।

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