पाक सीमा से लगती प्रदेश की समूची सरहद ही पर्यटन की संभावनाओं से भरी हुई। प्रदेश के सरहदी पांचों जिले श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर, जैसलमेर एवं बाड़मेर में कोई न कोई ऐतिहासिक या धार्मिक स्थल है। सरकार इन स्थानों को लेकर गंभीरता दिखाए तो सेना के साहस व शौर्य से जुड़े इन स्थानों को देखने सैलानी दौड़े आएंगे।
हिन्दुमलकोट आजादी से पहले प्रमुख व्यापारिक मंडी रही है। बीएसएफ जवानों ने सीमा चौकी पर पार्क, स्वीमिंग पुल आदि भी लगाए हैं। नग्गी में राजस्थान पर्यटन विकास निगम की ओर से डेढ़ करोड़ के विकास कार्य कराए गए हैं। नग्गी रणभूमि द्वार बन रहा है।
सीमा से महज 18 किलोमीटर पहले तनोट मंदिर है। यहां पर 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की ओर से करीब 3 हजार बम बरसाए गए थे, लेकिन वे फट नहीं पाए। उनमें से 450 जिंदा बम आज भी मंदिर में माता के साक्षात चमत्कार के तौर पर सजा कर रखे गए हैं। इसी तरह 1971 के भारत-पाक युद्ध में लोंगेवाला में भारतीय सेना ने जीत हासिल की थी। यहां शहीद हुए देश के 120 सपूतों की याद में संग्रहालय बनाया गया है। पाक सीमा से 15 किमी पहले लोंगेवाला युद्ध स्थल पर 24 अगस्त 2015 से आमजन को यहां भ्रमण की सुविधा दी गई थी।
भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की सांचू पोस्ट को बॉर्डर दर्शन के लिए विकसित किया गया है। टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए यहां वार म्यूजियम बनाया गया है। भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 के युद्ध का वृतांत पत्थर पर गढ़ा गया है। एक बड़े हॉल को युद्ध की डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए तैयार किया है। बॉर्डर की तारबंदी और पाकिस्तान की तरफ जीरो लाइन देखने के लिए व्यू पॉइंट बनाया गया है। भारतीय सेना के टैंक रखने और एक माता का एक मंदिर का निर्माण करने से यहां पर्यटक आने लगे है।
प्रदेश के बाकी चार जिलों की तरह बाड़मेर जिले की सीमा का भी अपना महत्व है। सरहद पर स्थित गडरारोड भी ऐतिहासिक स्थल है। इसके पास ही अंतरराष्ट्रीय रेल स्टेशन मुनाबाव है। भारत-पाक के बीच 1965 के युद्ध में जवानों तक रसद सामग्री पहुंचाई जाती थी। इसमें रेलवे का बड़ा योगदान रहा। युद्ध के दौरान रसद सामग्री ले जाती रेल पर पाक विमानों ने बम बरसाए थे। इसमें 17 रेलवे कर्मचारी शहीद हुए थे। उनकी याद में हर साल नौ सितम्बर को सरहद से पांच किमी की दूरी पर बने शहीद स्मारक पर मेला लगता है। रेलवे का यह एकमात्र शहीद मेला है।