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नेता चाहे सोने की गलियां बनवा दें, जनता सरकार बदल ही देती है !

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 13, 2018 10:23:59 am

Submitted by:

dinesh

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rajasthan ka ran
हरीश मलिक की रिपोर्ट
अबोहर। पड़ोसी राज्य पंजाब की अबोहर विधानसभा का गांव कल्लरखेड़ा। बुजुर्गों की चौपाल जमी है। मानो बीकानेर की पाटा संस्कृति छोटे रूप में रात के बजाय शाम को गुलजार हो गई हो। अमरिंंदर से अशोक और मोदी से मैडम तक… सब पर मंथन। उनकी रोजमर्रा की चर्चा में चुनावी तडक़ा लगाने की देर थी कि बगैर लाग-लपेट के सीधा तीर हमारी ओर ही आया-‘नेता चाहे सोने की गलियां (रास्ते) बनवाने का वादा पूरा कर दें मगर आपके राजस्थान की जनता सरकार ही बदल देती है।’
ग्राउंड-जीरो से रिपोर्टिंग का यह दूसरा पहलू था। कुछ ऐसे लोगों के मन की थाह ली जाए, जिनका राजस्थान में किसी की जीत-हार से सीधे तौर पर कोई ताल्लुक नहीं हो। सो, श्रीगंगानगर से करीब 50 किलोमीटर का फासला तय कर अबोहर आ गए। चौपाल पर जमे लोग राजस्थान के मतदाता नहीं हैं लेकिन चुनावों में पूरी दिलचस्पी है। राजस्थान के सरहदी इलाके से रोटी-बेटी के संबंध हैं। कल्लरखेड़ा गांव बड़ा है। दो पंचायत हैं। गांव में दो जगह चौपाल जमती है। पंजाब से कम पानी के मुद्दे पर बुजुर्ग ग्रामीण किसी विशेषज्ञ की तरह बोले, सरकारें बदलें या दोनों राज्यों में एक ही दल की सरकार आए, पाणी दी कहाणी कदे खतम नीं होणी।
बुजुर्ग मोहनलाल नम्बरदार साफगोई से कहते हैं कि सभी सरकारों को पहले अपने प्रदेश की चिंता रहती है। आखिर यही तो उनका वोट बैंक है, पड़ोसी धर्म निभाने के चक्कर में खुद का वोट बैंक कौन खराब करे? समर्थन में एक कहावत कहते हैं ‘हम पीया, हमारा बैल पीया, बाकी कुआं डूब पड़ो ..।’ यानी मतलबपरस्ती सब जगह हावी है।
बात आगे बढ़ी और चुनाव पर आई तो ग्रामीण काशीसिंह व जसराम कहने लगे ‘राजस्थान में तो हर पांच साल में बदलाव होता ही है। नेता चाहे सोने की गलियां बनवा दें। मोहनलाल, हरचंद और चुन्नीराम बोले कि पिछले साल राजस्थान के किसानों को अपना गेहूं हमारे कल्लरखेड़ा की मंडी में बेचना पड़ा था। आपके यहां ऐसे हालात बनते ही क्यों हैं? हमारे यहां खरीद में लिमिट नहीं है। भुगतान भी समय पर मिल जाता है।
आपकी सरकार को किसानों के हित की बात करनी चाहिए। अबोहर बस स्टैंड पर मोहनलाल, बीरबल, सुखविंदर सिंह ने बातचीत में कहा कि चुनाव प्रचार में संबंधियों-रिश्तेदारों का आना-जाना हो जाता है। हालांकि अब पहले जैसी बात नहीं रही। पहले जाति-संबंधी की बात सारा गांव सुनता था। कैसे परिणाम आंएगे राजस्थान में? पहले झिझकते लोग अब तपाक से बोले, ‘पंजाब जिद्दा ही राजस्थान दी जणता वी हथ नाल हथ मिलाएगी।’ श्रीगंगानगर के गायक जगजीत के साथ गाई लता की पंक्तियां गुनगुना लीजिए-
शहर में गलियों-गलियों जिसका चर्चा है
वो अफसाना तेरा भी है मेरा भी।।

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