सुनहरा अतीत रहा है अनूपगढ़ की रामलीला का
मनोरंजन के साधनों की बाढ़ के कारण अब लीला को देखने के लिए पहले जैसी भीड़ नही उमड़ती है। कस्बे में 1975 में गोशाला के पास तत्कालीन संस्थापक टेकचंद छाबड़ा के नेतृत्व में रामलीला के मंचन की शुरुआत की गई। उस समय रामलीला को देखने के लिए काफी लोग आते थे। आलय यह था कि दर्शक दोपहर को ही अपना कुछ सामान रामलीला ग्राउंड़ मेें अपनी मनचाही जगह पर रख कर अपना स्थान पक्का कर लेते थे।
सुनहरा अतीत रहा है अनूपगढ़ की रामलीला का
अनूपगढ़. मनोरंजन के साधनों की बाढ़ के कारण अब लीला को देखने के लिए पहले जैसी भीड़ नही उमड़ती है। कस्बे में 1975 में गोशाला के पास तत्कालीन संस्थापक टेकचंद छाबड़ा के नेतृत्व में रामलीला के मंचन की शुरुआत की गई। उस समय रामलीला को देखने के लिए काफी लोग आते थे। आलय यह था कि दर्शक दोपहर को ही अपना कुछ सामान रामलीला ग्राउंड़ मेें अपनी मनचाही जगह पर रख कर अपना स्थान पक्का कर लेते थे। 1975 से लेकर 1985 तक राम नाट्य क्लब के मुख्य कलाकार बंसी बलाना, सोहन मिड्ढ़ा, खेमी तनेजा, सुरेंद्र चुघ,जयलाल मिड्ढा, सोहन बलाना व मुरारी धूडिय़ा आदि थे। रामलीला शुरू होने से एक माह से अधिक समय पहले ही तैयारियां शुरु हो जाती थी। रात को लगभग 3 बजे तक चलने वाली लीला में आस के पास गांवों से भी लोग टे्रक्टर-ट्राली तथा अन्य साधनों से पहुंचते थे। दर्शक बढऩे से जगह छोटी होने के कारण राम नाटक क्लब को तीन बार जगह का बदलाव करना पड़ा। कम बजट होने के कारण क्लब द्वारा कलाकारों के लिए दिल्ली से लाए वस्त्र तथा अन्य सामान को चार-पांच साल तक प्रयोग में लिया जाता था।
हनुमान उड़ान था मुख्य आकर्षण
उस समय की रामलीला का मुख्य आकर्षण हनुमान का संजीवनी बूटी लेने के लिए आकाश मागज़् से जाने तथा आने का होता था। हनुमान की भूमिका शशि नागपाल अदा करते थे। हनुमान उड़ान के लिए लोहे की मजबूत तार लगाई जाती थी, जो रात्रि में नजर नहीं आती थी, केवल हनुमान आकाश में उड़ते नजर आते थे। राम-लक्ष्मण द्वारा ताड़का वध का दृश्य बहुत आकर्षण का केन्द्र थी। एक बार हनुमान का भूमिका निभा रहे शशि नागपाल के तार से गिर जाने के बाद हनुमान उड़ान का दृश्य बंद कर दिया गया। रामलीला में ताड़का वध के बाद सीता स्वंयवर के बाद राम बारात निकाली जाती थी। रावण की भूमिका अदा करने वाले मुकंद चुघ ने बताया कि उस समय राम बारात घोडों पर निकाली गई थी। बारात में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते थे।
हास्य कलाकारों तथा नृत्य की भूमिका अहम
रामलीला के साथ साथ टेकचंद छाबड़ा, अमर नागपाल, जसराज सोनी, राजू आदि हास्य कलाकरों ने भी रामलीला में दर्शकों का मनोरंजन किया। रावण दरबार में बाहर से आई नृत्यागंनाओं का नृत्य भी काफी पसंद किया जाता था। धीरे धीरे मनोरंजन के साधनों में बढ़ोतरी होती गई और लोगों का रुझान कम होने लगा। चौदह साल बाद युवाओं ने एक बार फिर रामलीला का मंचन दुबारा शुरू करने का प्रयास किया। भाजपा युवा मोचा उपाध्यक्ष राजू डाल की अध्यक्षता में पुराने कलाकारों से सम्पर्क कर लीला का मंचन दुबारा शुरू करवाया। फोटो कैप्शन – अनूपगढ़ की रामलीला में सीता हरण का दृश्य।
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