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श्री गंगानगर

नरमा-कपास में सिंचाई से पहले करें विरलीकरण

– नरमा-कपास के लिए विरलीकरण फायदेमंद- सिंचाई के साथ फसल में दें यूरिया
 

श्री गंगानगरJun 14, 2018 / 09:11 pm

vikas meel

agriculture land

kuchaman

– उत्पादन में बढ़ोतरी में सहायक है ज्यादा पौधों को उखाडऩा


श्रीगंगानगर.

जिले में नरमा-कपास की बिजाई के बाद अब पहली सिंचाई से पहले किसान अगर विरलीकरण कर लें तो ये पौधों की बढ़ोतरी और उत्पादन के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। कृषि विभाग के निर्धारित मापदंड के अनुसार देसी कपास और अमरीकन कपास में पौधे से पौधे की दूरी एक फीट और बीटी नरमा में यह दूरी दो फीट होनी चाहिए। विरलीकरण के समय खेत से उन पौधों को ही उखाडऩा चाहिए जो कमजोर, अलग किस्म के और रोगग्रस्त नजर आते हों। उखाडऩे के बाद इन पौधों को खेत से बाहर निकाल देना चाहिए। अगर इन्हें फसल के बीच में ही छोड़ते हैं तो दीमक लगने का खतरा रहता है जो फसल के लिए नुकसानदायक होगा।

 

कृषि अनुसंधान अधिकारी शस्य डॉ. मिलिन्द सिंह के अनुसार खेत में विरलीकरण उस समय करना चाहिए जब हमारे पास सिंचाई पानी की व्यवस्था हो। सिंचाई के साथ प्रति बीघा 21 किलो यूरिया देनी चाहिए। इससे बचे हुए पौधों को उचित पोषण मिल जाएगा। पहली सिंचाई के समय कुछ किसान डीएपी खाद भी डालते हैं, कृषि अधिकारियों के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि डीएपी का इस समय कोई औचित्य नहीं है।

 

क्या है विरलीकरण

नरमा-कपास में बिजाई के समय निर्धारित से ज्यादा पौधों का बिजान किसान कर देते हैं। एक महीने में पौधों की सही स्थिति सामने आ जाती है, इसमें किसान खेत में फालतू पौधों को उखाड़ता है। इसे कृषि विभाग विरलीकरण के नाम से जानता है। विरलीकरण के दौरान निर्धारित से ज्यादा, भद्दे, अलग किस्म और कमजोर पौधों को उखाड़ दिया जाता है। देसी कपास और अमरीकन कपास में पौधे से पौधे की दूरी एक फीट और हाइब्रिड या बीटी नरमा में यह दूरी दो फीट होनी चाहिए।

 

नरमा-कपास में विरलीकरण करना पौधों की बढ़ोतरी और उत्पादन में फायदेमंद रहता है। खेत में ज्यादा पौधे लगाने से उत्पादन बढऩे के बजाय घट जाता है, निर्धारित दूरी पर अगर पौधे होंगे तो निश्चित रूप से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। विरलीकरण के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। उस समय फसल में प्रति बीघा 21 किलो यूरिया भी देनी चाहिए।
– डॉ.मिलिन्द सिंह, कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य)।

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