पुलिस ने बताया कि इंजेक्शन वाले मामले में पांचों आरोपियों को रविवार को अदालत में पेश किया गया था, जहां उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। इस मामले में पुलिस फरार चल रहे एमआर व एक अन्य आरोपी की तलाश कर रही है। इन दिनों के गिरफ्तार होने तथा न्यायिक अभिरक्षा में भेजे गए लक्ष्य से पूछताछ के बाद ही पता चल सकेगा की इंजेक्शन कहां से लाए गए थे। पुलिस की ओर से बरामद किए गए इंजेक्शनों पर बेच नहीं सही नहीं होने के कारण उनका रेकॉर्ड पता नहीं लग पा रहा है। जिसमें पूछताछ में ही खुलासा होने की उम्मीद है।
पुलिस ने बताया कि किसी भी अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज को इंजेक्शन अलॉट होते हैं और उन इंजेक्शनों को नर्सिंगकर्मी ग्लूकोज की बोतल में डालकर लगाते हैं। यदि एक मरीज को चार इंजेक्शन अलॉट हुए और इनमें से तीन इंजेक्शन मरीज को लगा दिए। इसी दौरान उसकी मौत हो गई, तो रेकॉर्ड में चारों इंजेक्शन लगाना दर्शाया दिया गया होगा। वहां से एक इंजेक्शन इधर-उधर कर दिया, जो कालाबाजारी करने वालों तक पहुंचाया गया। पुलिस को अभी तक यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि यह किस हॉस्पिटल में से इंजेक्शन बाहर आया है।
चर्चा सरकारी अस्पताल से आने की
– वहीं एक ऑडियो व लोगों में चर्चा है कि संभवतय यह इंजेक्शन राजकीय चिकित्सालय से बाहर आए हैं और इनको बाहर कालाबाजारी करने वालों तक पहुंचाने में वरिष्ठ कर्मचारी के पुत्र का हाथ है। इस कर्मचारी का पुत्र के संबंध एक आरोपी से बताए जा रहे हैं। इसलिए अब पुलिस आरोपी को फिर से अदालत से रिमांड पर लेगी और गहनता से पूछताछ करेगी। इसके बाद ही इंजेक्शन आने के संबंध में खुलासा हो सकेगा।
ये था मामला
जिला विशेष टीम प्रभारी कश्यप सिंह के नेतृत्व में टीम लगी हुई है।