अक्टूबर 2017 में हुई पटवार भर्ती परीक्षा में 144 युवाओं का चयन हुआ था। प्रशिक्षण अवधि के दौरान लगभग 14 प्रशिक्षु पटवारियों का केन्द्र और राज्य सरकार की अन्य भर्तियों में चयन हो गया। इस पर इन प्रशिक्षु पटवारियों ने ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ दी। नौकरी छोडऩे वालों में युवतियां भी शामिल हैं। पटवारी पद पर नियुक्त एक युवती का आरपीएससी के जरिए कलक्ट्रेट में कनिष्ठ लिपिक पद पर चयन हो गया। नियुक्ति के लिए इस युवती को जब एनओसी लेने की जरूरत पड़ी तो राजस्व मंडल ने अक्टूबर से मार्च तक दिए गए मानदेय और उसके प्रशिक्षण पर खर्च हुई राशि जमा करवाने को कहा। इस पर युवती ने करीब 95 हजार रुपए विभाग में जमा करवाए। तब कहीं उसे एनओसी मिली।
असहज रहती हैं युवतियां
युवतियां पटवारी की नौकरी ज्वाइन तो कर लेती हैं, लेकिन जब उन्हें फील्ड में जाना पड़ता है तो वे खुद को असहज पाती हैं। इस दौरान किसी अन्य भर्ती परीक्षा में चयन होने पर वे पटवारी पद से इस्तीफा दे देती हैं। कलक्ट्रेट में इस्तीफे के चार प्रकरण अब भी बकाया हैं। प्रशासन ने इनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए हैं।
लगातार बढ़ रहे रिक्त पद
पटवारी की नौकरी छोडऩे के पीछे मूल वजह कम वेतन और काम का भारी बोझ बताया गया है। इस्तीफा देने वाले प्रशिक्षु पटवारियों ने एलडीसी और टीचर सहित अन्य नौकरियों को प्राथमिकता दी है। ज्यादातर चयनित पटवारी उच्च योग्यताधारी होते हैं, लेकिन चयन के बाद जब भी इन्हें दूसरी सरकारी नौकरियों में जाने का अवसर मिलता है तो वे तत्काल पद छोड़ देते हैं। यही वजह है कि जिले में पटवारियों के रिक्त पदों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पटवारी और द्वितीय श्रेणी अध्यापक के वेतनमान में काफी अंतर है। पटवारी की ट्रेनिंग भी नौ महिने की होती है।
जिन प्रशिक्षु पटवारियों ने पद से इस्तीफे दिए हैं उनसे अब तक दिए गए वेतन और प्रशिक्षण पर खर्च राशि की वसूली की गई है।Ó
– यशपाल आहूजा, उपखण्ड अधिकारी, श्रीगंगानगर