इस कमी को दूर करने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की तैनाती के साथ ही संविदा पर भी कर्मचारी रखे जा रहे हैं। रेल कर्मचारी संगठनों का कहना है कि रेल कर्मियों की कमी की वजह से रेल पटरियों की सही ढंग से जांच नहीं हो पाती। रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर काम चल रहा है, लेकिन तकनीकी कर्मचारियों की कमी की वजह से इन कार्यों को रफ्तार देने में परेशानी आ रही है।
स्वास्थ्य जांच से गुजरना होगा: रेलवे में 65 वर्ष की उम्र तक के पूर्व रेलकर्मियों को तकनीकी कार्य पर रखा जाएगा। इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य जांच से गुजरना होगा, जिन रेल कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ली हो, रेलवे से जबरन सेवानिवृत्त दी गई हो, सेवा से बर्खास्त किया गया हो, उनको पुन: नियुक्ति नहीं दी जाएगी। सेवानिवृत्त रेल कर्मियों को पुन: नियुक्ति नियमानुसार की जाएगी। रेलवे में तकनीकी कर्मचारियों की भारी कमी चल रही है। इसका सीधा असर विकास व संरक्षा कार्य पर पड़ रहा है।
पूर्व रेलकर्मी को उसके सेवानिवृत्त के दिन मिलने वाले अंतिम मूल वेतन व महंगाई भत्ते में पेंशन की राशि घटाकर मासिक मानदेय दिया जाएगा। इन कर्मचारियों को ग्राउंड लेवल पर कार्य करना होगा और उन्हें सुपरविजन का कार्य नहीं सौंपा जाएगा।
मिले हैं आवेदन
सेवानिवृत्त रेल कर्मियों ने दोबारा नियुक्ति पाने के लिए आवेदन किए हैं, इनके आवेदनों पर गंभीरता से विचार चल रहा है।
डीके त्यागी, स्टेशन अधीक्षक, श्रीगंगानगर।
सेवानिवृत्त रेल कर्मियों ने दोबारा नियुक्ति पाने के लिए आवेदन किए हैं, इनके आवेदनों पर गंभीरता से विचार चल रहा है।
डीके त्यागी, स्टेशन अधीक्षक, श्रीगंगानगर।