जिला परिषद के अधिकारियों की माने तो लाखों रुपए की इस खरीद में टेण्डर की प्रक्रिया अपनाने के बजाय अपने चहेती ठेका फर्मों से मनमर्जी के रेट निर्धारित कर खरीद कर ली गई। यहां तक कि किसी भी सरकारी एजेंसी की ओर से निर्धारित रेट का भी जिक्र खरीद प्रक्रिया में नहीं किया गया। नतीजन एक से दूसरी ग्राम पंचायतों में यह खरीद होने लगी। एक ठेका फर्म को ही अधिकृत कर बाजार मूल्य से कई गुणा अधिक दाम से कोटेशन पर ही खरीद करवा ली।
जिला परिषद प्रशासन को इस खरीद की भनक तो पिछले साल ही लगी थी लेकिन जांच कराने के बजाय इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पिछले दो महीने से आइएएस अफसर चिन्मयी गोपाल को जब से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई है, इस मामले हर पहलू को खंगाला जा रहा है।
तत्कालीन अधिकारियों ने इस खरीद फरोख्त के खिलाफ एक्शन लेने के बजाय चुप्पी साध ली थी, अब तक पांच ग्राम पंचायतों में हुई गड़बड़ी उजागर हुई तो सीइओ ने रायसिंहनगर, सूरतगढ़ और श्रीकरणपुर पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में जांच कराने के लिए टीम भेजी है। वहीं सीइओ का कहना है कि अनूपगढ़, घड़साना, श्रीविजयनगर, पदमपुर और सादुलशहर पंचायत समिति क्षेत्र के गांवों में खरीद की गई स्ट्रीट लाइट के संबंध में रिकॉर्ड खंगाला जाएगा।
इन ग्राम पंचायतों से मांगा जवाब
जिला परिषद सीईओ ने बताया कि श्रीगंगानगर पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायत साधुवाली, पक्की, खाटलबाना, 27 जीजी और ग्राम पंचायत कोनी की जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन पांचों में गडबड़ी की पुष्टि हुई है। अब संबंधित सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत प्रसार अधिकारी और विकास अधिकारी को नोटिस देकर जवाब मांगा है। संतोषजनक जवाब नहीं होने पर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।