राखी के होलसेलर विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना काल व चीन की राखी कम आने की वजह से उनको धंधा मंदा रहने की उम्मीद थी लेकिन जब राखी पर बाजारों में भीड़ उमड़ी तो कोरोना व चीन की राशियों का असर जाता रहा। इस बार भी हर साल की तरह राखी पर कोरोना का असर नहीं पड़ा और जमकर राखियों की बिक्री हुई।
इस बार अस्सी प्रतिशत राखियां स्थानीय स्तर पर बनाई गई हैंड मेड व परम्परागत राखियां ही बिकी। राखी पर कोरोना का भी कोई असर नहीं दिखा। बीस प्रतिशत राखियां अहमदाबाद, जयपुर व मुम्बई की भी बिकी है। एक मोटे अनुमान के अनुसार जिले में करीब डेढ़ करोड़ राखियों की बिक्री हुई है। जबकि कोरोना को लेकर पंजाब सीमा पर नाकेबंदी चल रही थी। इससे रिटेलर यहां तक नहीं पहुंच सके।
सोशल मीडिया व पेटीएम के एड में भी परम्परागत राखी दिखी
– राखी के होलसेलरों ने बताया कि इस बार लोगों ने चीन की राखियों को बिलकुल ही नकार दिया है। स्थानीय परम्परागत राखियों का बोलबोला रहा है।
इनका कहना है
– राखी बिक्री पर कोरोना का कोई असर नहीं रहा। जमकर स्वदेशी व परम्परागत राखियों की बिक्री हुई है। एक अनुमान के अनुसार जिले में डेढ़ करोड़ से अधिक राखी बिकी हैं।
– सीए रोहित गांधी, ***** सेलर रामदेव ट्रेडिंग कंपनी सदर बाजार श्रीगंगानगर