जिला पुलिस का कहना है कि जिस अन्तरराज्यीय लॉरेंस गैंग का नाम सामने आया है, उस गैंग की जांच एसओजी पहले से ही कर रही है। ऐसे में इस प्रकरण में अपराधी गिरोह को पकडऩे में आसानी रहेगी।
पुलिस परिजनों के अपने-अपने दावे
एडिशनल एसपी सुरेन्द्र सिंह का कहना था कि एसओजी अपने स्तर पर विभिन्न प्रदेशों में संचालित ऐसे गिरोह को पकडऩे के लिए अलग जांच करती है, इस कारण जांच में एसओजी का सहयोग मांगा गया है। लेकिन मृतक जॉर्डन के परिजनों ने इसके विपरीत दावा किया कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर विश्वास नहीं है। करीब एक सप्ताह पहले पुलिस प्रशासन को जॉर्डन को किसी गैंग की ओर से सुपारी लेकर हत्या करने की धमकी के बारे में बताया गया था लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया। जॉर्डन के रिश्तेदार अजय सहारण का कहना था कि उनका स्थानीय पुलिस से भरोसा उठ चुका है, पुलिस को यह पहले से जानकारी थी कि बड़ी वारदात हो सकती है। इसके बावजूद पुलिस ने गंभीरता नहीं बरती।
परिजनों ने की थी एसओजी की मांग
मंगलवार को जॉर्डन की हत्या के बाद उसके परिजनों ने इस मामले की जांच एसओजी से कराने की मांग की थी। इस पर पुलिस अधीक्षक हरेन्द्र कुमार महावर ने प्रकरण से तत्काल उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए जांच एसओजी को सुपुर्द करने का आग्रह किया था। इस पर बुधवार को प्रदेश के एटीएस एवं एसओजी के पुलिस महानिरीक्षक दिनेश एमएन ने जयपुर एसओजी के एडिशनल एसपी संजीव भटनागर के पर्यवेक्षण में एक टीम गठित करने के आदेश जारी कर दिए।
घटनास्थल देखा, सीसीटीवी फुटेज खंगाले
जांच अधिकारी एसओजी के एडिशनल एसपी भटनागर ने मीरा मार्ग स्थित मेटालिका जिम, जहां वारदात हुई थी, वहां जांच की। इसके बाद उन्होंने सीसीटीवी कैमरे में हत्यारों के प्रवेश करने और वारदात के बाद वापस जाने के फुटेज खंगाले। उन्होंने मीरा मार्ग से लेकर चहल चौक तक, इस चौक से हनुमानगढ़ रोड पर सीजीआर मॉल तक, चहल चौक से शिव चौक तक, सुखाडिय़ा मार्ग आदि प्राइवेट भवनों पर लगे सीसी टीवी की फुटेज भी मांगी। पुलिस की एक टीम मार्गों पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उस कार के नम्बरों का पता लगा रही है जिसमें सवार होकर हत्यारे आए थे।
इस जांच अधिकारी ने जवाहरनगर थाने में अपने साथ उन अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की अलग से मीटिंग भी ली। उन्होंने इस प्रकरण के एक-एक बिंदू पर चर्चा की।