धर्म और संस्कृति के संरक्षण से समाज सुरक्षित
Society protected by the protection of religion and culture… श्री बिश्नोई सभा सम्ििरत के तत्वावधान में श्रीबिश्नोई मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीजाम्भाणी हरि कथा का समापन रविवार को हवन व यज्ञ के साथ हुआ।
धर्म और संस्कृति के संरक्षण से समाज सुरक्षित
सूरतगढ़(श्रीगंगानगर) श्री बिश्नोई सभा सम्ििरत के तत्वावधान में श्रीबिश्नोई मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीजाम्भाणी हरि कथा का समापन रविवार को हवन व यज्ञ के साथ हुआ। कथावाचक स्वामी राजेंद्रानन्द महाराज के सानिध्य में सुबह सवा आठ बजे हवन में देशी घी व खोपरो की आहुति देकर क्षेत्र की खुशहाली व पर्यावरण संरक्षण की कामना की गई। हवन के पश्चात अमृत पाहल बनाकर श्रद्धालुओं में वितरण किया गया। हवन में शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं को गांवों से लाने व ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था भी की गई। बिश्नोई सभा समिति की ओर से कथा व हवन में पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए लंगर व भंडारे का आयोजन किया गया। दिनभर श्रद्धालुओं को लंगर प्रसाद का वितरण किया गया। इससे पूर्व कथावाचक संत राजेंद्रानन्द महाराज ने कहा कि हरि कथा को केवल सुनना ही नहीं अपितु जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति देश की जड़ है। इसलिए इसका संरक्षण करना बेहद जरूरी है। युवा पीढी को धर्म और संस्कृति की जानकारी देने से वे संस्कारवान होंगे तथा भविष्य भी अ‘छा बनेगा। इस अवसर पर बिश्नोई सभा अध्यक्ष भागीरथ कड़वासरा सहित प्रबंध समिति ने मुकाम के संत रमतानंद महाराज, सुखदेव मुनि भक्तिस्वरूप महाराज सहित संतों व दानदाताओं को शॉल ओढ़ाकर व श्रीफल देकर सम्मानित किया। कथा आयोजन व हवन में बिश्नोई सभा संरक्षक रामस्वरूप सिहाग, जगदीश टाडा, अध्यक्ष भागीरथ कड़वासरा, प्रेमप्रकाश बिश्नोई, ओमप्रकाश कड़वासरा, पप्पूराम सांवक, हनुमानप्रसाद गोदारा, कालूराम खीचड़, कुलदीप बिश्नोई, धर्मपाल सहित अन्य ने सेवाएं प्रदान की।