देव शयनी एकादशी अर्थात आषाढ़ शुक्ला एकादशी 17 जुलाई से देव उठनी एकादशी अर्थात कार्तिक शुक्ला एकादशी 12 नवंबर तक चार माह देव-शयन काल होने से विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। ऐसे में अप्रेल से लेकर नवंबर के बीच आखातीज और देवउठनी एकादशी पर विवाह के अबूझ मुहूर्त रहेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान किया जाता है। इसके अलावा गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। यदि आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदितमान हो तभी विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं। यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होता। दोनों ग्रह के अस्त होने से मई-जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे।
10 मई को अक्षय तृतीया 16 मई को जानकी नवमी 23 मई को पीपल पूर्णिमा 16 जून को गंगा दशमी