श्रीगंगानगर. इलाके में कड़ाके की सर्दी में स्वाइन फ्लू का कहर बढ़ता जा रहा है। राजकीय जिला चिकित्सालय में स्वाइन फ्लू संभावित, खांसी-जुकाम से पीडि़त मरीज हर घर में देखने को मिल रहे हैं। पिछले तीन दिन से चिकित्सालय में रिकॉर्ड 2300 मरीजों की ओपीडी रही। जबकि सोमवार को 2372 रोगी ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए आए। चिकित्सालय में सबसे ज्यादा भीड़ मेडिसिन ओपीडी में देखने को मिल रही है।
जिला चिकित्सालय में 360 रोगी भर्ती करने की क्षमता है जबकि 400 का उपचार किया जा रहा है। अक्सर सामान्य दिनों में 1700 से1800 तक ओपीडी रहती है लेकिन सोमवार और मंगलवार व बुधवार को चिकित्सालय में ओपीडी क्रमश: 2372, 2126 और 2200 तक पहुंच गई। इस कारण हर जगह लंबी लाइन लगी हुई थी। रोगियों को पहले पर्ची काउंटर पर, फिर डॉक्टर से परामर्श, जांच और बाद में दवा लेने के लिए डीडीसी काउंटर पर लंबी लाइन में घंटों इंतजार करना पड़ा। बुजुर्ग और महिलाओं को परेशानी अधिक हुई। देखने में आ रहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर लोग भयभीत होने के साथ जागरूक भी है। सर्दी, जुकाम और खांसी होने पर तुरंत अपना चेकअप करा रहे हैं।
शायद यही कारण है कि जिला चिकित्सालय मे इस बार ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे है।
अतिरिक्त काउंटरो से भी राहत नहीं चिकित्सालय में बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त काउंटर भी कोई राहत नहीं दे पा रहा है। चिकित्सालय में इन दिनों अव्यवस्था हावी है। चिकित्सालय प्रबंधन का तर्क है कि मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से कुछ अव्यवस्था है। आइडीपी सामान्य दिनों में 95 से 105 तक रहती है लेकिन 21 जनवरी को 170, 28 को 152 और 29 को 127 रही।
लाइनों में लगते-लगते हो जाती दोपहर 1-पर्ची कटवाने के लिए लाइन। 2 -डॉक्टर से परामर्श व उपचार के लिए लाइन ।
3 -जांच करवाने के लिए पर्ची पर नंबर लगाने और संपल के लिए लाइन।
4 -शाम को जांच रिपोर्ट लेने के लिए लाइन।
5 -जांच, परामर्श के बाद दवा लेने के लिए लाइन। फैक्ट फाइल
ओडीपी 28 जनवरी-2372
29 जनवरी-2126 30 जनवरी-2200 -आइडीपी 21 जनवरी -170
28 जनवरी-152 29 जनवरी-127
-ऑपरेशन हुए-11 सामान्य व प्रसव व सीजेरियन प्रसव-11 व 7 प्रसव चिकित्सालय में रिकॉर्ड ओपीडी औसत तीन दिन से 2300 रोगी तक चल रही है। 400 तक आइडीपी है। चिकित्सालय में दस साल पहले के डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ है जबकि ओपीडी और आइपीडी बहुत अधिक बढ़ गई। चिकित्सालय प्रबंधन के पास जितने संसाधन है उस हिसाब से रोगियों का उपचार किया जा रहा है। मरीज अधिक होने पर चिकित्सालय कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है।
-डॉ. प्रेम बजाज, उप नियंत्रक (डीसी) राजकीय जिला चिकत्सालय, श्रीगंगानगर।