चालीस लाख का बजट मिट्टी में दबे, उजड़ गया ट्रैफिक पार्क
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चालीस लाख का बजट मिट्टी में दबे, उजड़ गया ट्रैफिक पार्क
श्रीगंगानगर। इलाके में यातायात नियमों की पालना कराने के लिए केन्द्र सरकार के आदेश के बाद चार साल पहले नगर विकास न्यास प्रशासन ने चालीस लाख रुपए का विशेष बजट खर्च कर सुखाडिय़ा पार्क को ट्रैफिक पार्क का रूप दिया। यहां तक कि इस पार्क में रेलवे लाइन को पार करने के लिए वहां मानव रहित रेलवे फाटक का मिनी केन्द्र बनाया। इसी प्रकार एक कमरे का निर्माण कर वहां रेलवे स्टेशन, ट्रैफिक नियमों के अलग अलग संकेत के लिए विभिन्न नियमों को बड़े बड़े आकार दिए गए। लेकिन इसकी सार संभाल नगर विकास न्यास ने नहीं की। वहीं यातायात पुलिस ने भी इस पार्क को गोद लिया। नतीजन यह पार्क अब उजड़ गया है। पिछले दो साल पहले इस पार्क का क्षेत्राधिकार नगर विकास न्यास प्रशासन ने खुद की बजाय नगर परिषद को सौंप दिया था। नगर परिषद प्रशासन ने इस पार्क को उजाडऩे में ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया, इस पार्क की सफाई तक नहीं कराई। ऐसे में यह पार्क रेहडिय़ों के खड़े करने और वहां जुआरियों की शरण स्थली बन चुकी है। इस पार्क के चारों ओर बनाई गई चारदीवारी अब जर्जर हो चुकी है। पार्क के चारों ओर रेहडिय़ों का अस्थायी अतिक्रमण इतना अधिक हो चुका है कि इस पार्क में प्रवेश करने के लिए इन रेहडिय़ों के संचालकों से मिन्नतें निकालनी पडती है। शहर के बीचोबीच सुखाडिय़ा सर्किल से सटे इस पार्क को लाखों रुपए का खर्च कर बनाया था।
राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था इसका लोकार्पण
इस पार्क को शहर का सबसे खूबसूरत बनाने के लिए तत्कालीन विधायक और तत्कालीन नगर विकास न्यास अध्यक्ष राधेश्याम गंगानगर की भूमिका अहम थी। तब राधेश्याम इन दोनों पदों पर थे। उस समय देश के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने 17 अगस्त 1982 को इस पार्क का लोकार्पण किया था। तब इस पार्क में आदमकद की पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया की प्रतिमा का भी अनावरण किया था, तब इस पार्क को शहर का आकर्षण बताया गया था। लेकिन उसके बाद राधेश्याम गंगानगर ने कभी वहां आकर सार संभाल करने के संबंध में जिला प्रशासन से भी मांग नहीं की। यह पार्क अब सबसे उजड़ा हुआ पार्क बन गया है। पार्क में लोकार्पण के दौरान लगाई गई शिला पट्टिका आज भी इस बात की गवाह है कि यहां भी कभी चमन था।
बरसाती पानी निकासी का केन्द्र बनाया
पिछले दो सालों से इस पार्क को नगर परिषद के हवाले किया है तब से यह पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। परिषद के उद्यान अधीक्षक ने अपने चेहतों को वहां मूत्रालय और शौचालय बनाने की ऐसी छूट दी गई एक हिस्सा पूरा तरह शौचालय और मूत्रालय स्थल में तब्दील हो चुका है। दूसरे हिस्सा सुखाडिय़ा मार्ग की ओर खुलता है। इस मार्ग पर बरसाती पानी की निकासी नहीं होने पर पूरा पानी इस पार्क में लगाए गए वाटर हार्वेस्टिम सिस्टम के जरिए भूमि में डाला जाता है। गंदगी और कचरे का यह पार्क अड्डा बन चुका है। रेहडिय़ों और खोमचे वाले इस पार्क में अपना कचरा डाल रहे है। नशेडिय़ों ने इस पार्क में लगी लोहे की एंगल को काटकर चोरी कर ली है।