प्रसार में तकनीक का सहारा
समापन सत्र में मुख्य अतिथि टांटिया विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेंद्रसिंह गोदारा ने कहा कि समय के साथ बदलाव आते हैं। आज जो तकनीक आ रही है, उसे देखते हुए हमें साहित्य के प्रसार के लिए इनका सहारा लेना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक रचना में घटनाओं का मार्मिक चित्रण नहीं होगा, रचना प्रभावी नहीं हो पाएगी। प्रेमचंद की कहानियों का आज भी गहरा प्रभाव है तो उनकी कहानियों में मार्मिक चित्रण ही प्रमुख कारण है।
कलम का बेहतर उपयोग हो
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सैन्य अधिकारी एवं वरिष्ठ कवि कर्नल पंकजसिंह ने युवा साहित्यकारों को आह्वान करते हुए कहा कि आपकी कलम में वह ताकत है, जो लोगों का जीवन बदल सकती है। इसलिए इसका बेहतर उपयोग करें। उपस्थित संभागियों में से मनीराम जाखड़ ने सम्मेलन के दौरान हुए विमर्श को सार्थक और क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी बताया। इसके अलावा वहां की गई व्यवस्थाओं की सराहना भी की। अंत में सृजन के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने आभार व्यक्त किया। इस सत्र का संचालन युवा शायर सत्यपाल जोइया ने किया। शिविर में श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले से लगभग एक सौ संभागियों ने हिस्सा लिया।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि टांटिया विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजेंद्रसिंह गोदारा ने कहा कि समय के साथ बदलाव आते हैं। आज जो तकनीक आ रही है, उसे देखते हुए हमें साहित्य के प्रसार के लिए इनका सहारा लेना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक रचना में घटनाओं का मार्मिक चित्रण नहीं होगा, रचना प्रभावी नहीं हो पाएगी। प्रेमचंद की कहानियों का आज भी गहरा प्रभाव है तो उनकी कहानियों में मार्मिक चित्रण ही प्रमुख कारण है।
कलम का बेहतर उपयोग हो
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सैन्य अधिकारी एवं वरिष्ठ कवि कर्नल पंकजसिंह ने युवा साहित्यकारों को आह्वान करते हुए कहा कि आपकी कलम में वह ताकत है, जो लोगों का जीवन बदल सकती है। इसलिए इसका बेहतर उपयोग करें। उपस्थित संभागियों में से मनीराम जाखड़ ने सम्मेलन के दौरान हुए विमर्श को सार्थक और क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी बताया। इसके अलावा वहां की गई व्यवस्थाओं की सराहना भी की। अंत में सृजन के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने आभार व्यक्त किया। इस सत्र का संचालन युवा शायर सत्यपाल जोइया ने किया। शिविर में श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले से लगभग एक सौ संभागियों ने हिस्सा लिया।