विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाने वाले परिवारों का कहना है कि उन्होंने व उनके बुजुर्गो ने यह कला गुजरात में सीखी थी। वे जालौर के रहने वाले हैं और वहां यह कलाकारी सीखकर आए थे। अब काफी समय से श्रीगंगानगर में हनुमानगढ़ रोड पर पूरे परिवार के लोग प्रतिमाएं बनाते हैं। उनके इस धंधे पर कोरोना की जबरदस्त मार पड़ी है।
उन्होंने लॉक डाउन में ही झौंपडी के अंदर प्रतिमाएं बनाने का कार्य शुरू किया था और अब तक गणेशजी की सैंकड़ों प्रतिमाएं तैयार की। लेकिन लॉक डाउन तो हट गया लेकिन कोरोना से निजात नहीं मिली है। सभी धार्मिक आयोजन बंद हो गए हैं। इसकी मार उन पर भी पड़ी है। शनिवार को गणेश चतुर्र्थी है और अभी तक उनकी पच्चीस प्रतिशत भी प्रतिमाएं नहीं बिकी है।
जहां पहले हर साल गणेश चतुर्थी से पहले ही मोहल्लों व घरों में प्रतिमाओं की स्थापना की जाती थी और लोग कई-कई दिन पहले ही कार्यक्रम शुरू कर देते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। पहले तो यहां लाइन लगकर लोग प्रतिमाएं खरीदने आते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। अब केवल घरों में गणेशजी स्थापित करने वाले ही लोग प्रतिमाएं खरीदने के लिए आ रहे हैं।
जो शनिवार को ही यहां से प्रतिमाएं ले जाएंगी। लोगों ने प्रतिमाएं खरीदकर अपना नाम लिखकर कागज में लपेटकर रखवा दी है। जो शनिवार को सुबह यहां ले जाएंगे। कोरोना के चलते जो प्रतिमाएं नहीं बिक सकेंगी, उनको अगले साल तक के लिए संभालकर रखना भी मुश्किल कार्य है।