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श्री गंगानगर

कागजों में नोटिस देने का खेल, धरातल पर नहीं आया कचरा प्लांट

– श्रीगंगानगर के चक 6 जैड में डंपिंग प्वाइँट पर खेती होने लगी खराब
कागजों में नोटिस देने का खेल, धरातल पर नहीं आया कचरा प्लांट

श्री गंगानगरJun 02, 2024 / 04:33 pm

surender ojha

श्रीगंगानगर. चक 6 जेड ए के डंपिंग प्वाइंट पर कचरा प्लांट लगाने की सपना अब तक साकार नहीं हो पाया है। इस इलाके के आसपास बसी कॉलोनियों और ग्रामीणों ने कचरे के ढेर से उनकी फसलों और आबोहवा खराब हो चुकी है। खेतों में लगातार कचरे के ढेर से रिसने वाला पानी कृषि जिन्सों पर असर करने लगा है। नगर परिषद की खुद के साढ़े बारह बीघा भूमि अब कचरे के ढेर से खराब हो चुकी है। इससे तंग आकर दो साल पहले ग्रामीणों ने आंदोलन कर कड़ा रुख किया तो पूरे शहर में कचरे का उठाव बंद हो गया था, तब बनी सहमति में महज दो महीने में प्लांट लगाने का आश्वासन दिया गया लेकिन दो साल बीतने के बावजूद यह योजना सिरे तक नहीं चढ़ी है। हालांकि स्वायत्त शासन विभाग जयपुर ने पिछले साल गुजरात की फर्म मैसर्स डीएच पटेल को चार करोड़ 66 लाख रुपए का वर्क ऑर्डर किया था। इस ठेका कंपनी ने प्लांट लगाने की प्रक्रिया बीच में ही रोक दी। इस संबंध में नगर परिषद आयुक्त ने तीस अप्रेल को नोटिस देकर सात दिवस में जवाब भी मांगा था। लेकिन एक महीने बीतने के बावजूद िस्थति ज्यों की त्यों है। इस प्रक्रिया के अटकने से शहर का नाम केन्द्र सरकार की ओर स्वच्छता रैकिंग में नम्बर नहीं आ रहा है।

तब ग्रामीणों को यह दिखाया था सब्जबाग

चक 6 जेड ए के डंपिंग प्वाइंट पर कचरे का निस्तारण करने के लिए करीब दो साल पहले 11 सितम्बर 22 को कलक्ट्रेट परिसर में तत्कालीन जिला कलक्टर रुक्मणि रियार और विधायक राजकुमार गौड़ की मौजूदगी में नगर परिषद और संयुक्त संघर्ष समिति के बीच सहमति बनी थी। इसमें दो महीने में कचरा निस्तारण के लिए एक मशीन खरीद कर स्थापित करनी थी लेकिन मशीन इसे अब तक स्थापित नहीं किया गया है।शहर के 65 वार्डो से रोजाना 86 टन कचरे निकलता है। राज्य सरकार ने पिछले साल केन्द्र सरकार से पूरे प्रदेश में कचरा निस्तारण की प्लानिंग बनाई थी। केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन शहरी योजना के तहत ठोस कचरा प्लांट लगाने के लिए डीएलबी को अधिकृत किया था, ठेके के वर्क ऑर्डर हुए लेकिन यह प्लांट धरातल पर नहीं उतरा हैं।

चौदह लाख रुपए के बजट को बनाया कचरा

हालांकि नगर परिषद प्रशासन ने आनन फानन में चौदह लाख रुपए का बजट खर्च कर हनुमानगढ़ में एक फर्म से कचरे से प्लास्टिक का कचरा अलग करने वाले थ्रेसर मशीन संयंत्र भी खरीद की थी। इस थ्रेसर मशीन से रोजाना करीब 35 टन कचरा निस्तारित करने का दावा किया गया था। इस मशीन को स्थापित करने की योजना भी बनाई। इस वैकल्पिक मशीन की खरीद करने के बाद डंपिंग प्वाइँट पर कचरा साफ करने की प्रक्रिया भी शुरू की लेकिन यह जुगाड़ कामयाब नहीं हो पाया।



लगातार कचरे ने बिगाड़ी खेती

पिछले साल जुलाई में जब कचरा प्लांट लगाने के लिए टीम आई तो ग्रामीणों ने घेर लिया था। इन ग्रामीणों का कहना था कि इस डंपिंग प्वाइँट से उनकी कृषि भूमि खराब हो रही है। लगातार कचरे से निकलने वाले गंदगी खेतों के अंदर घुलने लगी है। आंधी चलने से प्लास्टिक का कचरा उड़कर उनके खेतों में आ रहा है। वहीं हाइकोर्ट में विचाराधीन मामले में अपना पक्ष रखते हुए उसमें डंपिंग प्वाइंट अन्यत्र जगह शिफ़ट करने का लिखित दावा कर रही है। ऐसे में ठेके की टीम को अपनी मशीनों को लेकर वापस लौटना पड़ा। इधर, नगर परिषद प्रशासन ने पिछले एक साल से कचरा निस्तारण के लिए एक मुरब्बा भूमि को किराए पर लेने की योजना बनाई लेकिन कोई काश्तकार भूमि देने का तैयार तक नहीं हुआ।

नगर परिषद के कागजी दावे

स्वायत्त शासन विभाग जयपुर ने ठेकेदार गुजरात के सूरत की फर्म डीएच पटेल को चक 6 जैड में नगपरिषद की साढ़े बारह बीघा भूमि पर बने डंपिंग प्वाइंट से कचरा हटाने के लिए अनुबंध किया था। इस फर्म को कचरा साफ करने के एवज में चार करोड़ 66 लाख वर्क ऑर्डर भी दिया गया था, लेकिन इस फर्म ने अब तक प्लांट नहीं लगाया है। आयुक्त यशपाल आहुजा ने 29 मार्च 24 और 30 अप्रेल 24 को इस ठेकेदार को नोटिस थमाने तक अपनी प्रक्रिया सीमित रखी।

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