यह दो शब्दों से मिलकर बना है। टो यानी खींचना चेन यानी धातु की रस्सी। यह शब्द आदत में इतना आया कि टो-चेन को कब टोचन कहा जाने लगा पता ही नहीं चला। इस प्रक्रिया में खराब व सही दोनों ही गाड़ी एक ही दिशा में चलती हैं लेकिन टोचन प्रतियोगिता का फंडा थोड़ा अलग है। इसका नाम भले ही टोचन है लेकिन इसमें वाहन एक दूसरे को विपरीत दिशा में खींचते हैं और यह केवल ट्रैक्टरों के बीच होती हैं। यह एक तरह से रस्साकशी प्रतियोगिता का ही परिष्कृत रूप से है। ट्रैक्टर के पीछे ट्रॉली के लिए जो हुक होता है, उसमें एक रॉड के माध्यम से दो ट्रैक्टरों को आपस में जोड़ दिया जाता है।
इसके बाद दोनों को सेंट्रल प्वाइंट पर खड़ा किया जाता है। इसके बाद दोनों विपरीत दिशा में एक दूसरे को खींचते हैं। यह तरह से चालक की दक्षता की परीक्षा होती है, जो इसमें सफल हो जाता है, बाजी उसी के हाथ लग जाती है।
हो सकता है हादसा
ट्रैक्टरों की जोर आजमाइश के दौरान कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ट्रैक्टर जब एक आपस में एक दूसरे को विपरीत दिशा में खींचते हैं तो उनके आगे का हिस्सा हवा में उठ जाता है। कई बार टै्रक्टर इतना ऊंचा उठ जाता है कि औंधा पलट भी जाता है। पंजाब में तो इकलौते ट्रैक्टरों की स्टंट प्रतियोगिता भी होती है, जिसमें आगे के दो हवा में उठ जाते हैं और पीछे के दोनों पहियों पर ही ट्रैक्टर को गोल चक्कर कटाया जाता है। पंजाब में टोचन पर गाने तक भी लिखे गए हैं। इन दिनों वहां मोटरसाइकिल की टोचन प्रतियोगिता भी खूब प्रचलन में है।
इनाम का लालच
पंजाब व हरियाणा के देहाती इलाकों में इस तरह की टोचन प्रतियोगिता खूब होती हैं। टोचन प्रतियोगिता में आकर्षक इनाम रखे जाते हैं। इसी इनाम के लालच में ट्रैक्टर मालिक अपनी जान की बाजी लगाने से नहीं हिचकिचता। ट्रैक्टर का नुकसान होने का अंदेशा भी बराबर बना रहता है। प्रतियोगिता अगर सड़क पर है तो टायर का घिसना तय है। वैसे मैदानी इलाकों में भी यह भी प्रतियोगिता होती है। आयोजक ट्रैक्टर चालकों से प्रतियोगिता का प्रवेश शुल्क रखते हैं। साथ ही कुछ शर्त पर रखते हैं, जिसकी प्रत्येक प्रतिभागी को पालना करनी होती है। पंजाब व हरियाणा से सटा होने के कारण श्रीगंगानगर जिले में भी इस तरह की स्टंट वाले खेल पसंद किए जाते हैं।