यातायात पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बिना हेलमेट, तीन सवारी, बिना सीट बेल्ट तथा बिना कागजात के वाहन चलाने वालों को जागरुक करने के लिए सबसे पहले शहर के स्कूल व कॉलेजों में शुरूआत की जाएगी। इसके लिए पुलिस की ओर से शहर के 38 स्कूल व कॉलेजों को चिह्नित किया है। इन स्कूलों ट्रेफिक पुलिस का एक-एक जांच अधिकारी गोद लेगा। गोद लेने वाला अधिकारी सात दिन में दो बार अपने-अपने स्कूल व कॉलेजों में जाएंगे और वहां जाकर वाहनों की जानकारी लेंगे।
हर स्कूल व कॉलेज में बनेंगे 8-8 वार्डन – पुलिस अधिकारियों की ओर से गोद लिए गए प्रत्येक स्कूल व कॉलेजों में आठ-आठ विद्यार्थियों को वार्डन बनाया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक स्कूल व कॉलेज में एक-एक रजिस्ट्रर रखवाया जाएगा। जिसमें आठ वार्डन बनाए गए बच्चों की ओर से स्कूल में आने वाले वाहनों के प्रकार व उनकी संख्या आदि लिखेंगे।
यह भी दर्ज करेंगे कि कितने विद्यार्थी वाहन लेकर आते हैं और कितना स्टाफ वाहन लेकर आते हैं। कौन-कौन लोग हेलमेट व सीट बेल्ट लगाकर आते है या नहीं। यही वार्डन स्कूल में वाहन लेकर आने वाले विद्यार्थियों व स्टाफ को हेलमेट लगाने, सीट बैल्ट बांधने, धीमी गति में वाहन चलाने, क्षमता से अधिक सवारी नहीं बैठाने के लिए जागरुक करेंगे।
सात दिन में दो बार वहां जाने वाले पुलिस के जांच अधिकारी वार्डनों से मिलकर प्राचार्य से मिलेंगे और विद्यार्थियों को यातायात नियमों का पालन कराने के लिए प्रेरित करेंगे। इन वार्डनों को यातायात पुलिस की ओर से पहचान कार्ड भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
यातायात नियमों की नहीं करते विद्यार्थी पालना – पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्कूल व कॉलेजों से निकलने व जाने वाले विद्यार्थी सबसे अधिक यातायात नियमों को तोड़ते हैं। अक्सर यह देखने में आया है कि स्कूल व कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी तेज गति में वाहन चलाते हैं और क्षमता से भी अधिक सवारियां बैठाकर चलते हैं। इनके सिर पर हेमलेट भी नहीं होता है। इसलिए इनमें जागरुकता लाना जरुरी है।
इनका कहना है – शहर की स्कूल व कॉलेजों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को हेलमेट लगाने, धीमी गति में वाहन चलाने आदि को जागरुकता लाने के लिए 38 स्कूल व कॉलेज चिह्नित किए गए हैं। जिनमें जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। यहां आठ-आठ बच्चों को वार्डन बनाया जाएगा।
कुलदीप सिंह, यातायात प्रभारी श्रीगंगानगर।