देश व्यापी लॉक डाउन से इलाका भी अछूता नहीं है। एेसे में लोग अपने घरों में बैठकर टीवी और मोबाइल के लगातार इस्तेमाल करने से वे तंग आ गए, एेसे में अब उनको पतंगबाजी रास आने लगी है।
पतंगबाजी के लिहाज से यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ था लेकिन लॉक डाउन ने बीकानेर और जयपुर मूल के बांशिदों में पतंगबाजी का शौक फिर से उमड़ आया है। एेसे बुजुर्गो को पतंगबाजी ने अपने बचपन की याद दिला दी है। शहर के पुरानी आबादी पटाखा फैक्ट्री एरिया, एन ब्लॉक, सी ब्लॉक, एल ब्लॉक, सेतिया कॉलोनी, जवाहरनगर और अग्रसेननगर, जाखड़ कॉलोनी, पूजा कॉलोनी में पतंगबाजी सिर चढक़र बोल रही है।
जाखड़ कॉलोनी के विजय कुमार का कहना है कि मोहल्ले के अधिकांश लोग रोजाना दोपहर बाद पतंगबाजी करना शुरू कर देते है, यह सिलसिला सांझ ढलने तक चलता है। वहीं ओमप्रकाश बताते है कि पतंगबाजी देखकर उनको अपने बचपन की याद ताजा हो गई।
घर से बाहर जा नहीं सकते, एेसे में छत पर चढक़र रोजाना शाम को दो से तीन धंटे पतंग उड़ाने का फिर से शौक जाग उठा है। यही माहौल अग्रसेननगर में भी देखने को मिला।
इस पॉश कॉलोनी में कृष्णलाल, पवन, राजू, जसवंत आदि युवाओं ने अपने घर की छत को खेल मैदान के रूप में बना लिया है। कोई बैंडमिंटन तो कोई प्लास्टिक गेंद से क्रिकेट तो कोईइस छत से मांझा और पतंग से टाइम पास किया जा रहा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए हुए लॉक डाउन के दौरान लोग घरों में है। एेसे में लोगों अपने घर की छत को ही मनोरंजन का केन्द्र बना लिया है। कोई पतंग उड़ाने के लिए छत पर परिवार सहित व्यस्त था, वहीं कई लोगों ने परिवार के बच्चों में आत्मरक्षा के गुर बताने के लिए खुद के स्तर पर ट्रेनिंग क्लास बना ली है।
कई महिलाओं ने शाम को छत पर बच्चों को नई कक्षाओं के सलेबस करवाना भी शुरू कर दिया है। कई घरों की छत पर एेसे भी लोग नजर आए जो दूरबीन से दूर दूर तक आसमां को निहार रहे थे। वहीं कईयों ने छतों की सफाई की मुहिम चला रखी थी। वहीं कई युवतियां बैंडमिंटन तो कई युवा और बच्चे प्लास्टिक गेंद से क्रिकेट खेलकर अपना टाइम पास करने लगे है।