जानकारी के अनुसार कृषि उपज मंडी समिति की ओर से पुरानी फल सब्जी मंडी में स्थानाभाव और फल सब्जी जिन्स उत्पादकों व व्यापारियों को होने वाली परेशानी के मद्देनजर नई धान मंडी में सन 2005 में फल सब्जी मंडी स्थापित करने का निर्णय किया गया। तब एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च कर शैड, कॉमन पिड़ व कार्यालय भवन बनवाया गया। फल सब्जी मंडी में लगभग 60 लाइसेंसधारी है तथा पुरानी मंडी में मात्र नौ दुकाने हैं। पुरानी मंडी एक छोटे से भूखंड में चल रही है। वहीं, प्रस्तावित नई मंडी में एक हजार वर्ग फीट के शैड व कॉमन पिड़ का निर्माण किया गया है। व्यापारियों की दुकानों के लिए 15 गुणा 75 वर्ग फीट क्षेत्र के 52 भूखंड आरक्षित हैं। कृषि उपज मंडी समिति नई फल सब्जी मंडी में दुकानों के भूखंड आवंटित करने व फल सब्जी मंडी स्थानांतरित करने के लिए अब तक सात बार विज्ञप्ति जारी कर चुकी है। लेकिन, नई सब्जी मंडी के भूखंड महंगे होने तथा अन्य कारणों से पुरानी सब्जी मंडी नए मंडी यार्ड में स्थानांतरित नहीं हो पा रही।
पुरानी फल सब्जी मंडी की समस्याएं
एक छोटे से भूखंड में संचालित है। इसमें एक दर्जन से भी कम दुकाने हैं तथा लाइसेंसधारी 5 दर्जन से अधिक है। यह स्टेट हाइवे नंबर तीन पर स्थित है तथा सब्जी मंडी का गेट रेलवे अंडरपास के मुहाने पर है। सब्जी लाने – ले जाने वालों की यहां भीड़ हो जाती है। इससे अक्सर जाम लग जाता है।
महंगे हैं नई सब्जी मंडी के भूखंड पुरानी सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि नए मंडी यार्ड में फल सब्जी के व्यापारियों के लिए आरक्षित भूखंडों का डीएलसी रेट श्री गंगानगर जिले की सभी धान मंडियों से ज्यादा है। इस जगह का डीएलसी रेट 13000 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। इस स्थान पर कृषि उपज मंडी समिति द्वारा निर्धारित 15 गुना 75 फीट का भूखंड लेकर उस पर दुकान निर्माण करने पर 20 लाख रुपए से अधिक खर्च आता है। व्यापारियों का कहना है कि पुरानी मंडी में आवंटित दुकान की एवज में उन्हें नई मंडी में दुकान दी जाए।