हमारे जिले के युवाओं की सेना भर्ती में भागीदारी नगण्य है। सेना की भर्ती में शेखावटी क्षेत्र के युवा अधिक भाग लेते है जबकि हमारे इलाके के युवा इससे दूरी रखते है। यही वजह है कि देशभर में सेना में इलाके के युवाओं की उपस्थिति बेहद कमजोर नजर आ रही है, सेना ने तो अब प्रत्येक जिलावार भर्ती प्रक्रिया तक शुरू कर रखी है। इसके बावजूद युवाओं में सैनिक बनने का क्रेज नहीं है। कृषि प्रधान इलाका होने के कारण युवा खेती और व्यापार के प्रति अपना कैरियर देखते है। बदलते परिवेश में युवा अब शहर से बाहर जाकर प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करने लगे है तो वहीं कई युवा तो बाहर कारोबार में अपना भविष्य बना लिया है।
इस कारण सेना में भर्ती होने में ज्यादा रुचि नहीं लेते। हालांकि पुलिस सेवा में नौकरी करने के लिए ज्यादा रुचि लेते है। कई अभिभावकों की माने तो बचपन से ही सेना में भर्ती के लिए एकेडमी नहीं है, सैनिक बनने के लिए रोल मॉडल भी इलाके में इतने नहीं है कि उनको देखकर युवा प्रेरित हो सके। शिक्षण संस्थाओं में सिर्फ उच्च अधिकारी बनने के लिए फोकस किया जाता है। अनुशासन और देशभक्ति के प्रतीक सेना में नौकरी करने के लिए युवाओं को प्रेरित करने की जरुरत है।
पूर्व सैन्य अधिकारी धर्मनाथ कहते है, सेना मेंं नौकरी करना आन बान और शान है। यह सही है कि सख्त डयूटी और अनुशासन के कारण सेना में नौकरी करना कठिन है लेकिन मुश्किल नहीं। सेना में वे ही युवा जाते है जो कुछ कर गुजरने के लिए मादा रखते हो, ऐसे में इस इलाके के युवा सेना में नियमित फिजिकल फिट रहने की नौकरी करने से परहेज करते है।
वहीं वरिष्ठ शिक्षाविद़ गुरमीत सिंह गिल की माने तो युवाओं में क्रिकेटर बनने का जुनुन है लेकिन सैनिक बनने का अनुशासन पंसद नहीं है। यही वजह है कि इलाके के युवा आरएएस अफसर या एलडीसी, पटवारी, कांस्टेबल बनने की सीमित सोच रखते है। रही कही कसर इस नहरी इलाके में अब नशे के दौर ने पूरी कर दी है। ऐसे में सेना में हमारे इलाके के जवान कम नजर आते है।