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श्री गंगानगर

ऐसा क्या है कि देशभक्ति की भावना के बावजूद भी सेना से दूरी रखते है श्रीगंगानगर के युवा

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श्री गंगानगरJan 14, 2019 / 09:10 pm

surender ojha

What is it that despite the spirit of patriotism, the youth

ऐसा क्या है कि देशभक्ति की भावना के बावजूद भी सेना से दूरी रखते है श्रीगंगानगर के युवा

श्रीगंगानगर। हमारा जिला भारत पाक बॉर्डर से सटा हुआ है। ऐसे में इलाके भी सेना की छावनियां अधिक है। देशभक्ति का जज्बां भी अधिक है। सेना या देश भक्ति के आए दिन होने वाले कार्यक्रम में युवा बढ़चढकऱ अपनी उपस्थिति दिखाते है। राजनीतिक दलों ने भी देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों में युवाओं को जोडऩे का काम किया है लेकिन सेना को कैरियर के रूप में अब तक स्वीकार्य नहीं किया जा रहा है।
हमारे जिले के युवाओं की सेना भर्ती में भागीदारी नगण्य है। सेना की भर्ती में शेखावटी क्षेत्र के युवा अधिक भाग लेते है जबकि हमारे इलाके के युवा इससे दूरी रखते है। यही वजह है कि देशभर में सेना में इलाके के युवाओं की उपस्थिति बेहद कमजोर नजर आ रही है, सेना ने तो अब प्रत्येक जिलावार भर्ती प्रक्रिया तक शुरू कर रखी है। इसके बावजूद युवाओं में सैनिक बनने का क्रेज नहीं है। कृषि प्रधान इलाका होने के कारण युवा खेती और व्यापार के प्रति अपना कैरियर देखते है। बदलते परिवेश में युवा अब शहर से बाहर जाकर प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करने लगे है तो वहीं कई युवा तो बाहर कारोबार में अपना भविष्य बना लिया है।
इस कारण सेना में भर्ती होने में ज्यादा रुचि नहीं लेते। हालांकि पुलिस सेवा में नौकरी करने के लिए ज्यादा रुचि लेते है। कई अभिभावकों की माने तो बचपन से ही सेना में भर्ती के लिए एकेडमी नहीं है, सैनिक बनने के लिए रोल मॉडल भी इलाके में इतने नहीं है कि उनको देखकर युवा प्रेरित हो सके। शिक्षण संस्थाओं में सिर्फ उच्च अधिकारी बनने के लिए फोकस किया जाता है। अनुशासन और देशभक्ति के प्रतीक सेना में नौकरी करने के लिए युवाओं को प्रेरित करने की जरुरत है।
पूर्व सैन्य अधिकारी धर्मनाथ कहते है, सेना मेंं नौकरी करना आन बान और शान है। यह सही है कि सख्त डयूटी और अनुशासन के कारण सेना में नौकरी करना कठिन है लेकिन मुश्किल नहीं। सेना में वे ही युवा जाते है जो कुछ कर गुजरने के लिए मादा रखते हो, ऐसे में इस इलाके के युवा सेना में नियमित फिजिकल फिट रहने की नौकरी करने से परहेज करते है।
वहीं वरिष्ठ शिक्षाविद़ गुरमीत सिंह गिल की माने तो युवाओं में क्रिकेटर बनने का जुनुन है लेकिन सैनिक बनने का अनुशासन पंसद नहीं है। यही वजह है कि इलाके के युवा आरएएस अफसर या एलडीसी, पटवारी, कांस्टेबल बनने की सीमित सोच रखते है। रही कही कसर इस नहरी इलाके में अब नशे के दौर ने पूरी कर दी है। ऐसे में सेना में हमारे इलाके के जवान कम नजर आते है।

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