उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए सभी विभागों के साथ साथ आमजन को सजगता से अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। इसके लिए वार्ड स्तर पर टीमें गठित करनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया। इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है।
बाल विवाह की रोकथाम के लिए सीडीपीओ कार्यालय की महिला पर्यवेक्षक सहित स्वास्थ्य विभाग की कार्यकर्ता बहुत अच्छे ढंग से कार्य कर सकती है। कम उम्र की कन्याओं का विवाह होने या करवाने से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। एसडीएम ने कहा कि क्षेत्र के सभी प्रिंटिंग प्रेस विवाह संबंधित कार्ड में वर व वधू की उम्र व जन्मतिथि लिखे, इसकी भी पालना करवाई जाएगी।
नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी लालचंद सांखला, तहसीलदार प्रदीप कुमार, विकास अधिकारी विनोद कुमार, अतिरिक्त ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी नरेश रिणवां, उरमूल सेतु संस्थान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुखराज, अधिवक्ता भागीरथ कड़वासरा आदि ने विचार रखे। इस मौके पर एसडीएम ने सभी जनों को बाल विवाह की रोकथाम की शपथ भी दिलवाई। इस अवसर पर बीसीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल, धर्मशाला व मैरीज पैलेस के प्रतिनिधि, पुजारी, मौलवी, फोटोग्राफर आदि मौजूद रहे।