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अलवर

एक ऐसा विभाग जो आरटीआई को नहीं मानता

जिला परिषद अलवर की ओर से आरटीआई अधिनियम 2005 के नियमों की अवहेलना के कई रोचक प्रकरण पिछले 1 साल में सामने आ चुके हैं। ऐसा ही एक और मामला अब सामने आया है। आवेदक की ओर से जिला परिषद से घोटालों और फ़र्ज़ी नियुक्ति के 12 बिंदुओं से संबंधित सूचना मांगी थी। परिषद ने आवेदक को जवाब दिया कि सूचना जिला परिषद के सीमित संसाधनों को विचलित करने वाली है।

अलवरApr 01, 2024 / 11:40 am

susheel kumar

एक ऐसा विभाग जो आरटीआई को नहीं मानता

एक ऐसा विभाग जो आरटीआई को नहीं मानता

जिला परिषद अलवर की ओर से आरटीआई अधिनियम 2005 के नियमों की अवहेलना के कई रोचक प्रकरण पिछले 1 साल में सामने आ चुके हैं। ऐसा ही एक और मामला अब सामने आया है। आवेदक की ओर से जिला परिषद से घोटालों और फ़र्ज़ी नियुक्ति के 12 बिंदुओं से संबंधित सूचना मांगी थी। परिषद ने आवेदक को जवाब दिया कि सूचना जिला परिषद के सीमित संसाधनों को विचलित करने वाली है और देने योग्य नहीं है, लेकिन फिर भी आवेदक चाहे तो जिला परिषद में आकर सूचना का अवलोकन कर सकते हैं। आवेदक ने अपने आवेदन में यह भी लिखा था कि चाही गई सूचना परिषद की ओर से की गई वित्तीय अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग की जानकारी से संबंधित है।
सूचना आयोग ने 21 दिन में सूचना देने को निर्देश दिए
इसके बाद आवेदक अजीत सिंह यादव ने परिषद में प्रथम अपील लगाकर लिखा कि उसकी ओर से दस्तावेजों के अवलोकन के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया, जो सूचना देने योग्य नहीं है। उसका अवलोकन किस आधार पर कराया जाएगा। जिला परिषद ने फिर आवेदक को अवलोकन के लिए ही पत्र लिखा। मामला सूचना आयोग में पहुंच गया। अब सूचना आयोग की ओर से जिला परिषद अलवर को 21 दिन के अंदर आवेदक को सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं। मामले में सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
ये मांगी गई थी सूचनाएं
आवेदक की ओर से जो सूचना मांगी गई है उसमें केवल पिछले दो सालों में हुई जिला स्थापना समिति, प्रशासन एवं स्थापना स्थाई समिति, साधारण सभा की बैठकों का कार्रवाई विवरण, 2 साल के दौरान जिला परिषद की ओर से किए गए न्यायिक प्रकरणों के भुगतान के आदेश की प्रति, जिला परिषद के एक सरकारी वाहन की लॉग बुक की 2 साल की प्रमाणित प्रति, पिछले साल ग्राम विकास अधिकारियों के प्रशिक्षण के टेंडर और राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार अभियान के टेंडर संबंधी दस्तावेजों के प्रति मांगी गई थी।

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