कृषि विज्ञान में स्नातक, दावणगेरे की सौभाग्य ने कृषि विश्वविद्यालय, धारवाड़ में अध्ययन किया। उन्होंने बिना कोचिंग क्लास गए अपने दूसरे प्रयास में सीएसई पास कर ली। उनके पिता दावणगेरे में पौधों की नर्सरी चलाते हैं, जबकि उनकी मां एक गृहिणी हैं।
दूसरे ही प्रयास में रैंक प्राप्त करने में सफल
सौभाग्य ने कहा, पहले प्रयास में, मैं प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाई। हालाँकि, दूसरे प्रयास में अधिक मेहनत कर रैंक प्राप्त करने में सफल रही। इस रैंक से मुझे भारतीय पुलिस सेवा में पोस्टिंग मिल सकती है। लेकिन मेरा सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी बनने का है। साथ ही, मैंने भारतीय वन सेवा मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और मौखिक परीक्षा का इंतजार कर रही हूं। मैं अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए फिर से सीएसई लेने की योजना बना रही हूं।
अधिकारियों के बच्चों ने भी प्राप्त की सफलता
नागेंद्र बाबू कुमार को 160 वीं रैंक मिली मिली है। राज्य कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राकेश सिंह की बेटी संस्कृति सिंह ने 366 वीं रैंक हासिल की है। ग्रामीण विकास विभाग की अनुभाग अधिकारी प्रमिला की बेटी यशस्विनी आर ने 379 वीं रैंक हासिल की है। पहले से ही भारतीय सूचना सेवा अधिकारी के रूप में कार्यरत दृष्टिबाधित के.टी. मेघना ने 721 एआईआर हासिल की है।