शाम के 6 बजे रहे थे। पत्रिका की टीम शहर की किताबों और यूनिफार्म की दुकानों के पास पहुंची। खचाखच दुकानों के पास पैरेंट्स लाइन लगाए हुए खड़े थे। कुछ दुकानों के स्टॉल पर खड़े होकर दुकानदारों से विवाद करते भी दिखे। पुरानी और नई किताब में सिर्फ एक चैप्टर बदल जाने से पैरेंट्स को पूरी किताबें ही नई खरीदने का अफसोस साफ दिखाई दे रहा था। ऐसे में पत्रिका ने कुछ पैरेंट्स बातचीत की और उनकी परेशानी जानने की कोशिश की।
नए शैक्षणिक सत्र से महंगाई की मार अभिभावकों पर पड़ रही है। अभिभावकों को कॉपी, किताब, बच्चों की ड्रेस, जूते, स्कूल बैग सहित अन्य बढ़े दाम पर मिल रहे हैं। इस बार कीमत 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गई है। उन्हें इसके लिए अतिरिक्त एक बच्चे पर 8 से 12 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। इस तरह का आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
अभिभावकों ने बताया कि ड्रेस भी लगातार महंगी बिक रही हैं। ड्रेस की दुकान पर आए सुनील कुमार ने बताया कि बच्चे की ड्रेस, जूते और थर्मस, पानी की बोतल के दाम 25 फीसदी महंगे मिल रहे हैं। स्कूलों की ओर से बताई गई दुकानों पर ही यह सामान मिलता है। इस पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।
महक महलंगे: मेरी बेटी और उसका कजिन एक ही स्कूल में पढ़ते हैं. कजिन उससे एक क्लास ऊपर है, सो मैंने सोचा कि चलो अच्छा है, बेटी के लिए किताबें तो नहीं खरीदनी पड़ेंगी. लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाता। स्कूल में किताबों का कंटेंट तो नहीं बदलता, लेकिन कुछ चेप्टर वगैरह में हेरफेर हो गया है। कुल मिलाकर इस बार भी नई किताबें ही खरीदनी पड़ रही हैं।
विकास सिंह: हर साल स्कूल के अलावा स्पोर्ट्स यूनिफार्म भी खरीदता हूं। भले ही स्पोर्ट्स साल के 48 दिन ही होते हैं। पिछले साल ही यूनिफार्म लाया था, अब स्कूल ने बदलाव कर दिया है और एक विशेष दुकान से ही खरीदारी करने को कहा है। मेरे बच्चे की यूनिफार्म में हर बार हल्का-फुल्का चेंज हो जाता है, और मुझे इसे लेना मजबूरी बन जाता है।
●पांचवीं 5000 रुपए 5500 से अब 6000 रुपए तक ●एलकेजी 2500 से 4000 तक अब 2800 से 5000 रुपए ●7वीं से 10वीं 5500 रुपए तक अब 6000 से 7000 रुपए तक
●एलकेजी 2000 से 2700 रुपए तक
●पहली से पांचवी 3000 से 3800 रुपए तक
●पांचवी से आठवीं 4000 से 5000 रुपए तक