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धौलपुर

अग्निशमन की एनओसी और न ही बचाव के इंतजाम, पर फिर भी चल रहे अस्पताल

– शहर में ज्यादातर निजी अस्पतालों पर अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं
– स्वास्थ्य विभाग केवल लाइसेंस बांटने पर लगा, जांचने पर नहीं ध्यान

धौलपुरMar 09, 2024 / 05:55 pm

Naresh

 NOC for fire fighting nor rescue arrangements, but hospitals are still running

अग्निशमन की एनओसी और न ही बचाव के इंतजाम, पर फिर भी चल रहे अस्पताल

धौलपुर. शहर में कदम-कदम पर निजी अस्पताल खुले हुए हैं। यहां पर लोगों की जान बचाने के दावे किए जा रहे हैं। पर हकीकत में मरीजों के जान की इन्हें कितनी परवाह है, इसका अंदाजा वहां अग्निशमन सुरक्षा के इंतजामों से ही लगाया जा सकता है। अधिकांश अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजाम नदारद हैं। गिनती के फायर एक्सटिंग्यूसर लगाकर कोरमपूर्ति की गई है। ऐसे में शहर के निजी अस्पतालों में खुदा न खास्ते आग लगने पर जान सांसत में फंस सकती है। वहीं, जिम्मेदार विभाग का कहना है कि इन्हें अवगत कराया है। साथ ही अधिकांश पर एनओसी नहीं है। लेकिन फिर भी ये धड़ल्ले से संचालित हैं।
उधर, स्वास्थ्य विभाग के पास तीस निजी अस्पताल व क्लीनिक पंजीकरण है। इन निजी अस्पतालों को विभाग ने लाइसेंस दिया है। हालांकि इससे दो गुना संख्या में अस्पतालों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। तमाम जगहों पर बस क्लीनिक के रूप मेें पंजीकरण कराकर मरीजों की भर्ती किया जा रहा है। किसी भी निजी अस्पताल को लाइसेंस जारी करने से पहले अग्निशमन विभाग से एनओसी लेनी होती है। विभाग तय मानकों पर वहां सुरक्षा उपायों का पड़ताल करता है। इसके बाद ही एनओसी देता है। अग्निशमन विभाग के रिकार्ड में कुछ प्रमुख अस्पतालों को छोड़ दें तो अन्य किसी ने भी एनओसी नहीं ली है। अग्नि सुरक्षा के नाम पर बस दो-चार फायर एक्सटिंग्यूसर जरूर लगाए गए हैं। जिनकी उपयोगिता की जांच भी लंबे समय से नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर तो बेपरवाह है वह आंख बंद कर मौन बना हुआ है। लेकिन अग्निशमन विभाग भी ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं कर सका। बिना एनओसी लिए अस्पताल का संचालन हो रहा है।
एक ही निकास द्वार, बेसमेंट में बने हैं वार्ड

निजी अस्पतालों में बड़े भवन के लिए नियम यह है कि वहां कम से कम दो निकास द्वार हों ताकि आपात स्थिति में एक द्वार से लोग बाहर निकलते रहे और दूसरे से राहत कार्य जारी रहे। इस नियम का भी यहां कई अस्पतालों में पालन नहीं हो रहा है। कुछ निजी अस्पतालों में दो रास्ते ही नहीं है। वाहनों की पार्किंग के लिए बनाए जाने वाले बेसमेंट भी वार्ड बनाकर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। जिससे आपात स्थिति में मरीज बाहर भी नहीं निकल सके।
निजी अस्पतालों में अप्रशिक्षित कर्मचारी

किसी भी संस्थान के कर्मचारियों के लिए आग और अन्य आपदा की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने प्रशिक्षण अनिवार्य किया हैं। इसके बावजूद अस्पताल या अन्य संस्थान इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। अग्निशमन विभाग की ओर से भी इस बारे में कभी पहल नहीं की जाती। जिससे बिना अग्निशमन मानकों के निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का निजी अस्पतालों को बिना जांच पड़ताल किए कागजों में संचालन कर देता है। निरीक्षण से दूरी बना लेते है।
कलक्ट्रेट से बाड़ी रोड पर कई अस्पताल संचालित

शहर की मुख्य रोड गुलाब बाग से कलक्ट्रेट और जगदीश तिराहे से बाड़ी रोड पर कई निजी अस्पताल संचालित हैं। इसी तरह कुछ अस्पताल यहां सैंपऊ रोड पर भी खुले हैं। स्वास्थ्य विभाग की नजर कभी इन अस्पतालों पर नहीं गई। यहां कितने के पास अग्नि से बचाव के सुरक्षा इंतजाम हैं और किस-किस पर एनओसी है। खास बात तो ये है कि जिला कलक्ट्रेट के सामने भी धड़ल्ले से निजी अस्पताल संचालित हैं। फिर भी जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हैं।
अग्नि सुरक्षा के ये हैं मानक

– न्यूनतम पांच-पांच फुट के दो दरवाजे होने चाहिए।

– ऊपरी मंजिल पर ओवरहेड टैंक हो, जो पानी से भरा हो।

– प्रत्येक मंजिल पर हौज रील का इंतजाम हो।
– जगह-जगह अग्निशमन यंत्र लगे हों।

– आपातकालीन संकेतक और फायर अलार्म हों।

– भवन के बेसमेंट में अस्पताल का संचालन न हो।

– अग्निशमन विभाग की एनओसी ली हो।

– अग्निशमन, पुलिस और आपातकालीन नंबरों का चस्पा हो।
अस्पतालों में अग्निसुरक्षा के मानक तय हैं, संचालकों को समय-समय पर अवगत कराया जाता है। अधिकांश अस्पतालों ने एनओसी नहीं ली गई है। इसके लिए उन्हें नोटिस भी भेजा जाएगा। फिर से अस्पतालों का निरीक्षण किया जाएगा। मानक पूरा न करने वालों को नोटिस देकर कार्रवाई की संस्तुति करेंगे।
– वृषभान सिंह, सहायक अग्निशमन अधिकारी, नगर परिषद धौलपुर

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