इस रास्ते में जगह-जगह निर्माण कार्य और जाम के कारण न केवल यात्री परेशान हो रहे हैं बल्कि उन्हें दिल्ली पहुंचने में करीब साढ़े छह घंटे का समय भी लग रहा है। वहीं, निजी ऑपरेटर्स एक्सप्रेस-वे से करीब साढ़े चार से पांच घंटे में ही यात्रियों को दिल्ली पहुंचा रहे हैं। नतीजन, रोडवेज की वोल्वो बसों का यात्री भार गिर रहा है।
रोडवेज का तर्क, हरियाणा-दिल्ली से अनुमति ले रहे
रोडवेज अधिकारियों का तर्क है कि रोडवेज की वोल्वो बसों के पास ऑल इंडिया परमिट तो हैं, लेकिन वाया कोटपूतली-दिल्ली रूट की अनुमति है। एक्सप्रेस-वे पर वोल्वो बसों का संचालन करने के लिए हरियाणा और दिल्ली परिवहन विभाग से रूट की अनुमति लेनी है, लेकिन अधिकारियों की सुस्ती के कारण ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। रोडवेज भले ही रूट की अनुमति नहीं मिलने के कारण वोल्वो बसों का संचालन एक्सप्रेस-वे से नहीं कर रहा है, लेकिन इसके पीछे वजह यह भी सामने आ रही है कि एक्सप्रेस -वे से बसों को दिल्ली चलाने में खर्चा अधिक आएगा। वाया दौसा एक्सप्रेस-वे से दिल्ली जाने में बसें 60 किमी अतिरिक्त चलानी होंगी। इसके अलावा करीब तीन हजार रुपए का टोल टैक्स अतिरिक्त देना होगा। इसके लिए रोडवेज को किराया बढ़ाना पड़ेगा, जो पहले ही निजी बसों से अधिक है।
होता है इंटर स्टेट एग्रीमेंट
परिवहन अधिकारी आदर्श राघव के अनुसार एक राज्य से दूसरे राज्य में सरकार की सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू करने के लिए दो राज्यों के बीच इंटर स्टेट एग्रीमेंट होता है। इसमें यह तय किया जाता है कि कितनी बसें और किस रूट से राज्यों में प्रवेश करेंगी। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार एक्सप्रेस-वे से बसों को संचालित करने का एग्रीमेंट नहीं है।
दूसरे राज्यों की अनुमति हो
‘वोल्वो बसें ऑल इंडिया परमिट की तो हैं, लेकिन हमें एक्सप्रेस-वे रूट पर चलाने के लिए हरियाणा और दिल्ली परिवहन विभाग की अनुुमति लेनी है। इसकी प्रक्रिया जारी है। निजी बसें किस आधार पर चल रही हैं, इसकी जानकारी नहीं है। -अनीता बड़सीवाल, कार्यकारी यातायात निदेशक, रोडवेज
एक्सप्रेस-वे से बसें चलें तो ये फायदा
-करीब एक से डेढ़ घंटा समय बचेगा
-जगह-जगह जाम से मुक्ति मिलेगी
-यात्रीभार बढ़ेगा
-यात्रियों को आरामदायक सफर मिलेगा
-यात्रियों की मांग फिर भी रोडवेज एक साल में नहीं ले पाया अनुमति, गिर रहा यात्री भार