बचाव के लिए क्या करें
-स्थानीय मौसम संबंधित खबरों के लिए रेडियो सुने व टीवी देखें तथा समाचार पत्र पढ़े या संबंधित मोबाईल एप डाउनलोड करें। -पर्याप्त पानी पीयें तथा अपने आपको हाइट्रेटेड रखने के लिए ओआरएस ओरल रिहाइट्रेशन सॉल्यूसन, घर के बने पेय जैसे लस्सी, तोरानी, चावल का मांड, नींबू आदि के पानी व छाछ का सेवन करें। -हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़े पहनें। यदि कही बाहर हैं तो अपना सिर ढके, कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें। -आंखों की सुरक्षा के लिए धूप के चश्म का प्रयोग करें और त्वचा की सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन लगाएं तथा प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षण लें।
– तेज गर्मी के दौरान वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों की दिन में कम से कम दो बार जांच करें तथा ध्यान रहे उनके पास फोन अवश्य रहे। -यदि गर्मी से बेचैनी महसूस कर रहे तो तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें, उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलियां रखें।
-उनके शरीर को ठंडक देने के साथ ही डॉक्टर अथवा एंबुलेंस को बुलाएं। उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें।
बच्चों के लिए बरती जाने वाली सावधानियां
-गर्मी के मौसम में बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। -शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें। यदि बच्चे के यूरिन का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डीहाईड्रेशन यानी पानी की कमीद्ध का शिकार है।
-बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं क्योंकि वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
श्रमिकों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाएं
-नियोक्ता श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ठंडे पेयजल का प्रबंध करें। -सभी श्रमिकों के लिए आराम के लिए छाया, साफ पानी, छाछ, आइस पैक के साथ प्राथमिक चिकित्सा किट और ओआरएस ओरल रिहाइट्रेशन सॉल्यूसन का प्रबंध रखें। -श्रमिकों के लिए सीधी धूप से बचने के लिए कहे तथा श्रमसाध्य कार्यों को दिन के कम ताप वाले समय में ही करें।
-बाहरी गतिविधियों के दौरान विश्राम करने की आवृत्ति और सीमा समय बढ़ाएं। -श्रमिकों को लू से संबंधित चेतावनी के बारे में सूचित करें तथा जिन श्रमिकों के लिए गर्मी वाले क्षेत्र नए हो, उन्हें हल्का काम और कम घंटों का काम दें।