70 फीसदी घटे नकली नोट
दरअसल, आंकड़ों की मानें तो 2016 में नोटबंदी के बाद से नकली नोट और इनकी छपाई तेजी से घट रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2023 में लगभग 7.98 करोड़ मूल्य के नकली नोटों का पता चला था, जो 2014 में पाए गए 24.84 करोड़ रुपए के नकली नोटों से 70 फीसदी कम है।500 का नोट ही सबसे बड़ी करेंसी
बता दें कि सरकार ने नोटबंदी के बाद 500 और 2000 मूल्य के नए नोट बाजार में उतारे थे। इसमें से 2000 के नोट को भी अब बाजार से वापस ले लिया गया है। मतलब साफ है कि देश में पहले जहां 1000 का नोट सबसे बड़ी करेंसी हुआ करती थी, अब उसकी जगह पर 500 का नोट ही सबसे बड़ी करेंसी के रूप में बच गई है।नए नोटो से घटी जालसाजी
अब, आरबीआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि 2016-17 में नकली नोट 43.46 करोड़ रुपए तक पहुंच गए थे। इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। तब से, यह वित्त वर्ष 2022 में घटकर 8.26 करोड़ और वित्त वर्ष 2023 में 7.98 करोड़ रुपए हो गया है। इसके पीछे की वजह यह है कि नोटों के साथ जो सुरक्षा फीचर डाले गए हैं, उसने जालसाजों के लिए मौजूदा तंत्र को बायपास करना अधिक कठिन बना दिया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इसकी वजह से भी नकली नोटों की संख्या में कमी आई है।निशाने पर सबसे बड़े नोट
नोटबंदी के बाद के 2000 के नोट और 1000 के पुराने नोट अब चलन से बाहर हैं। लेकिन, बैंकिंग सिस्टम में इसकी वापसी के बाद इसके नकली नोट पाए गए। इसके पीछे की वजह यह रही है कि नकली नोट बनाने वाले आमतौर पर उच्च मूल्यवर्ग की मुद्रा को लक्ष्य करते हैं। ऐसे में अब इसके बाद बाजार में बचे बड़े नोट 500, 200 और 100 की नकली करेंसी अधिक सामने आ रही है। बता दें कि देशभर में प्रचलन में जितनी कुल मुद्रा है, उसके अनुसार वित्त वर्ष 2014 में नकली नोटों की हिस्सेदारी 0.0194 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 0.0024 प्रतिशत हो गई है।