काले वस्त्र, हाथ में कोड़ा, हर किसी को धमकाया नृसिंह चतुर्दशी पर अनेक स्थानों पर हुई नृसिंह लीला के पात्र हिरण्यकश्यप ने शहर में खूब ऊधम मचाई। लीला स्थल पर भक्त प्रहलाद को डराया-धमकाया। गली-मोहल्लों में पहुंचकर आमजन पर कपड़े से बने कोड़े की मार की। चौकियों, पाटों, दुकानों पर चढ़कर बल का अहम प्रदर्शित किया व दंभ की हुंकार भरी। मुख्य मेले से पहले छोटे-छोटे बच्चों ने हिरण्यकश्यप का स्वरूप धारण कर परंपरा का निर्वहन किया।
तीन बार युद्ध, हिरण्यकश्यप का वध नृसिंह मेलों में नृसिंह अवतार लीला के मंचन के दौरान भक्त प्रहलाद की पुकार पर भगवान नृसिंह थंब से प्रकट हुए व लीला स्थल पर पहुंचे। यहां भगवान नृसिंह और हिरण्यकश्यप के मध्य तीन बार युद्ध हुआ। सूर्यास्त के समय तीसरे व अंतिम युद्ध के दौरान हिरण्यकश्यप का प्रतीकात्मक वध हुआ। इसके बाद भगवान नृसिंह स्वरूप की आरती की गई।
पंचामृत अभिषेक, पूजा-अर्चना नृसिंह चतुदर्शी पर शहर में िस्थत भगवान नृसिंह के मंदिरों में पंचामृत अभिषेक, पूजन, श्रृंगार और आरती के आयोजन हुए। मंदिर ट्रस्ट व समितियों सहित श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी का मंत्रोच्चारण के बीच पंचामृत से अभिषेक किया। दिन में कई बार ठाकुरजी के वस्त्र बदले गए। विभिन्न प्रकार के पुष्पों से श्रृंगार किया गया। विविध व्यंजनों का भोग अर्पित किया गया। लखोटिया चौक, डागा चौक, दुजारी गली, नत्थूसर गेट, लालाणी व्यास चौक, गायत्री मंदिर गोगागेट में सुबह से रात तक ठाकुरजी के दर्शनों का क्रम चला। श्रद्धालुओं ने व्रत-उपासना की। नृसिंह अवतार के बाद श्रद्धालुओं ने व्रत का पारणा किया।
मेले भरे, उमड़े शहरवासी नृसिंह चतुर्दशी पर शहर में अनेक स्थानों पर नृसिंह मेले भरे। बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने नृसिंह अवतार लीला के दर्शन किए। डागा चौक, लखोटिया चौक, लालाणी व्यास चौक, दुजारी गली, नत्थूसर गेट, किराडू गली, फरसोलाई, दम्माणी चौक और गोगागेट गायत्री मंदिर में भरे मेले में बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद रहे। डागा चौक, लखोटिया चौक व लालाणी व्यास चौक में मेला स्थल के आस-पास िस्थत मकानों की छतों पर बड़ी संख्या में बालिकाएं, महिलाएं और बच्चे मौजूद रहे।
नगाड़ों की आवाज, एक-दूसरे को ललकार नृसिंह अवतार लीला के दौरान पूरा माहौल भगवान नृसिंह और भक्त प्रहलाद की भक्ति से सराबोर नजर आया। पाटे पर भगवान नृसिंह की गर्जना हर किसी को रोमांचित कर रही थी। वहीं सड़क पर मौजूद हिरण्यकश्यप भगवान नृसिंह को ललकारता रहा। भगवान नृसिंह, अधर्म के प्रतीक हिरण्यकश्यप को दबोचने और वध करने को आतुर नजर आए। सूर्यास्त के दौरान भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप को अपने दबोचकर प्रतीकात्मक वध किया। इस दौरान पूरा क्षेत्र भगवान नृसिंह और भक्त प्रहलाद के जयकारों से गूंज उठा।