गंगा नदी की अविरलता बचाने के लिए बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बंाध के कारण गंगा नदी में सिल्ट जमा हो रहा है, जिससे बिहार में प्रतिवर्ष बाढ़ आती है। उन्होंने एकबार फिर फरक्का बैराज को बंद करने की मांग दोहराई और यह भी कहा कि इस सम्मेलन को फरक्का से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने के साथ इसे अविरल बनाने की जरूरत है। उन्होंने सिल्ट जमा होने और उससे बाढ़ आने की स्थापित पर भी प्रकाश डाला। नीतीश ने पीएम मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीएम कहते हैं मां गंगा ने बुलाया है, लेकिन गंगा-गंगा की रट लगाने वाले को बनारस के लोग खोज रहे हैं। बनारस में गंगा पूछ रही है कि आखिर कहां गया उसका बेटा? गंगा के महत्व की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने बचपन का एक संस्मरण सुनाया। उन्होंने कहा कि बचपन में बख्तियारपुर में घर में दाल पकाए जाने के लिए उन्होंने खूब गंगा का पानी ढोया है।
सम्मेलन में गंगा नदी की अविरलता बचाने, पश्चिम बंगाल में निर्मित फरक्का बांध के कारण गंगा नदी में जमा हो रहे गाद एवं सिल्ट और उससे राज्य में उत्पन्न पर्यावरणीय संकट के विषय में चर्चा की जाएगी तथा इस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है।
सम्मेलन में गंगा नदी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, हिमालय से निकलने वाली मुख्य नदियों से संबंधित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा गाद प्रबंधन और गंगा नदी की सुरक्षा के लिए योजना, नीति एवं नियमों के कार्यान्वयन पर भी चर्चा हो रही है।
सम्मेलन में मैग्सेसे सम्मान प्राप्त राजेंद्र सिंह, पद्मभूषण प्राप्त पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट, गंगा विशेषज्ञ भरत झुनझुनवाला, पंजाब के पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह, गंगा मुक्ति आंदोलन के संस्थापक अनिल प्रकाश सहित देश-विदेश के कई पर्यावरणविद् और जानकार हिस्सा ले रहे हैं।