सरकारी विभागों की अनदेखी के चलते क्षतिग्रस्त सडकों को ठीक नहीं किया जाता। कई बार ठेकेदार, इंजीनियर व राजनेता—प्रशासकों की मिलीभगत के चलते सडक निर्माण में घटिया सामग्री लगा दी जाती है। इससे सडक बनने के कुछ ही समय के बाद क्षतिग्रस्त हो जाती है। सडक बनाने के बाद तीन या अधिक साल की गारंटी होनी चाहिए। इससे कम समय में टूटने पर अधिकारी की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
— आनंद सिंह राजावत, देवली कला, पाली/ब्यावर
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इसकी प्रमुख वजह जनप्रतिनिधि व संबंधित अधिकारियों की लापरवाही है। जब तक उस सड़क पर कोई बड़ा हादसा घटित नहीँ हो जाता तब तक उनके कान पर जूं तक नही रेंगती। हादसा घटित होने के तत्पश्चात ही उस सड़क को ठीक करने की कार्य योजना बननी शुरू हो जाती है। जनता को जागरूक होना होगा और संबंधित अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को जगाना होगा,तभी क्षतिग्रस्त सड़को पर हो रहे हादसों से बचा जा सकता है।
—शंकर गिरि, रावतसर, हनुमानगढ (राजस्थान)
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सडकों के निर्माण की क्वालिटी घटिया होती है। इससे वह क्षतिग्रस्त हो जाती है। ठेकदार व इंजीनियर मिलकर भ्रष्टाचार कर सडक निर्माण में घटिया सामान लगाते हैं, जिससे वह यातायात का अधिक दबाव सहन नहीं कर पाती। सडक इंजीनियरिंग में इतना विकास हो चुका है, उसके बावजूद देश में सड़कों की क्वालिटी अच्छी नहीं है। जिस तरह से किसी वस्तु व सेवा की गारंटी होती है, वैसे ही जनता को सडक की भी कम से कम पांच साल की गारंटी होनी चाहिए।
— मुकेश भटनागर,भिलाई,छत्तीसगढ़
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सड़कें यदि अच्छी बन गयी तो क्या इनके निर्माण करवाने वालों की कमाई नहीं बंद हो जायेगी? सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिये अच्छा—खासा बजट पास होता है। परंतु ठेकेदारों के साथ नेताओं और अधिकारियों के बीच मिलीभगत के चलते कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार का खेल चलता है। जिन सडकों को सुधार होना चाहिए, उनकी सुधि नहीं ली जाती और अच्छी खासी सडकों को तोड कर दोबारा बना दिया जाता है।
-नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश
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जब भी सड़कें ठीक करवाने का समय आता है तो टेंडर निकाला जाता है, और अधिकारियों का कमीशन तय होता है। अधिकारी फील्ड पर जाकर देखते भी नहीं हैं कि काम अच्छे से हो रहा है या नहीं। ठेकेदार अपने सुविधानुसार काम करते हैं, इसलिए समय रहते सड़कें ठीक नहीं होती।
— संदीप कुमार, मधुपुर (झारखंड)
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क्षतिग्रस्त सडकों को ठीक करने की समयबद्ध जिम्मेदारी न होने तथा उत्तरदायित्व निर्धारित नहीं होने से सडकें समय पर नहीं सुधरती हैं। — अमित दीवान, भोपाल
…………………………………………………. सड़कों में लगी घटिया सामग्री के कारण
टूटी सड़क और गहरे गढ्ढों के कारण सड़कों पर वाहन चलाते समय दुर्घटना का भय हमेशा बना रहता है। सड़कों के बनते समय जो खराब मटेरियल उपयोग हुआ, उसके कारण सड़कें अधिक टिकाऊ नहीं रहती। बार बार रिपेयरिंग के बाद भी कहीं न कहीं खराब सड़क का सामना करना ही पड़ता है। सड़कों को ठीक तभी किया जाता है, जब पानी सर से ऊपर हो जाए। रिपेयरिंग में ढिलाई और तुरंत कार्रवाई नहीं होनी होती। कई स्थानों पर साधारण सड़क की दुरुस्तता तो छोड़िए, राष्ट्रीय और राज्य हाईवे पर भी रिपेयरिंग में देरी बरती जाती है। समय पर सूचना मिलने पर भी संबंधित अधिकारियों की अनदेखी और सुस्त संज्ञान के चलते सड़कें ठीक नहीं होती।