scriptमदर्स डे पर आईपीएस प्रीति चंद्रा बोली… मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है | Patrika News
खास खबर

मदर्स डे पर आईपीएस प्रीति चंद्रा बोली… मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है

जयपुर। मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी होती है। ऐसे में प्रोफेशनल महिलाओं की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। काम के बीच परिवार व बच्चों के साथ सामजस्य बिठाना अपने आप में चुनौती से कम नहीं है। मां की जिम्मेदारी के साथ शहर की जिम्मेदारी निभा रही अतिरिक्त पुलिस आयुक्त व आईपीएस प्रीति चंद्रा […]

जयपुरMay 12, 2024 / 01:42 pm

Girraj Sharma

जयपुर। मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी होती है। ऐसे में प्रोफेशनल महिलाओं की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। काम के बीच परिवार व बच्चों के साथ सामजस्य बिठाना अपने आप में चुनौती से कम नहीं है। मां की जिम्मेदारी के साथ शहर की जिम्मेदारी निभा रही अतिरिक्त पुलिस आयुक्त व आईपीएस प्रीति चंद्रा ने मां की जिम्मेदारी को सबसे अहम बताया, साथ ही उनके लिए प्रोफेशनल लाइफ भी जरूरी है। हालांकि व्यततम समय में कुछ समय वे बच्चों के लिए भी निकाल रही हैं।
सवाल : आप पूरे शहर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, मां की जिम्मेदारी कैसे निभा पाती हो?
आईपीएस प्रीति चंद्रा : सुबह जल्दी उठकर बच्चों को तैयार करना, स्कूल जाने तक पूरा समय बच्चों को देते हैं। शाम को कोशिश करते हैं कि एक घंटा बच्चों के साथ बिताए, बैलेंस रखते है। वीकेंड पर बच्चों को समय देने की कोशिश करते हैं। डिफिकल्ट जरूर है, लेकिन मां होने के नाते कोई मुश्किल है, मैनेज हो जाता है।
सवाल : कामकाज और घर—परिवार के बीच कैसे सामंजस्य बैठा पाती है?
आईपीएस प्रीति चंद्रा : मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी है। ऑफिशियल जिम्मेदारी का समय तो होता है, उसका शेड्यूल तो है, लेकिन मां की जिम्मेदारी का कोई शेड्यूल नहीं है, वह 24 घंटे की जिम्मेदारी है। कई बार ऐसा हो जाता है, खुद बीजी है, बच्चो के साथ रहना जरूरी है, तब सैंकेंड पेरेंट्स मैनेज करते हैं। बच्चों के मामले में सबसे बड़ा सपोर्ट मेरे पति हैं।
सवाल : आप समाज से क्या उम्मीद रखती हैं?
आईपीएस प्रीति चंद्रा : मैं सोचती हूं, हम मां भी है, वर्किंग वूमन भी है, बहू भी है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं से अपेक्षाएं अधिक होती है। जबकि अवसरों की उतनी समानता नहीं मिल पाती है, जितनी मिलनी चाहिए। मेल डोमिनेंटिंग सोसाइटी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के साथ लोगों का रवैया उतना अच्छा नहीं होता है। मां के रूप में, एक बेटी और एक बहू के रूप में महिला अधिक काम करती है। महिला एक मल्टीटास्किंग होते हुए भी उसे प्रोपर रिस्पेक्ट नहीं मिल पाती है। महिलाओं को अधिक मेहनत और काम करके अपने आप को साबित करना होता है।
सवाल : प्रोफेशन में कितनी परेशानी, कितनी चिंता है, परिवार को कितना प्रभावित करती है?
आइपीएस प्रीति चंद्रा : मां के लिए अपने बच्चे की परवरिश व उनकी खुशी के साथ बच्चों को संस्कार देने से ज्यादा बड़ी कोई चीज नहीं है। मां का रोल, ऐसा है कि वह हर चिंता, हर परेशानी व हर तकलीफ को भूला देता है। मैं चाहे कितनी ही परेशानी में हूं, पर जब मैं देखती हूं कि मैं दो बेटी की मां हूं तो सब भूल जाती हूं। और जब घर आकर दोनों बेटियों को देखती हूं तो लगता है, यही मेरे लिए संसार है।

Hindi News/ Special / मदर्स डे पर आईपीएस प्रीति चंद्रा बोली… मां की जिम्मेदारी हर जिम्मेदारी से बड़ी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है

ट्रेंडिंग वीडियो