दायर याचिका में डीएमके ने कहा है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान सदन में पुलिस अधिकारियों की ओर से उनके विधायकों पर हमला किया गया और जबरन सदन से बाहर निकाला गया। इस प्रकार से सदन में विपक्षी पार्टी की अनुपस्थिति में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडपाडी पलनीस्वामी के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव लाया गया, जो कि सही नहीं है। जबकि विधानसभा अध्यक्ष से लगातार गुप्त मतदान और समय सीमा को आगे बढ़ाने की मांग की गई थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
तो वहीं मद्रास हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के लिए इस मुद्दे को उठाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। गौरतलब है कि ष्ठरू्य सांसदों ने तमिलनाडु के राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे भी विश्वास प्रस्ताव अमान्य करने की मांग की थी।
वहीं रविवार को डीएमके कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने उनके पार्टी सदस्यों पर हुए हमले की निंदा करते हुए 22 फरवरी को राज्यभर में भूख हड़ताल करने की भी घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि विधानसभा में इतनी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था कि ऐसा लग रहा था कि पूरा परिसर छावनी में तब्दील हो गया हो। स्टालिन ने भय के साए में मतदान कराने की बात कही।
आपको बता दें कि चेन्नई के राजाजी सालै स्थित राज्य सचिवालय में सोमवार को मुख्यमंत्री एडपाडी पलनीस्वामी ने कार्यभार संभाला। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फाइल पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन भी उपस्थित थी।