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उदयपुर

राजस्थान के इन जिलों के जंगलों में लगती है सबसे ज्यादा आग, हैरान कर देगी वजह

दरअसल, फॉरेस्ट फायर सेटी सेंटर की शक्ल में तो नहीं, लेकिन कुछ इससे ही मिलते जुलते प्रस्ताव उदयपुर वन विभाग की ओर से पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार को भेजे गए थे। जिसमें उदयपुर में अग्नि रोकथाम प्रशिक्षण केंद्र अर्थात फायर सेटी सेंटर के लिए भी 60 लाख रुपए का प्रावधान था।

उदयपुरApr 19, 2024 / 05:12 pm

जमील खान

रुद्रेश शर्मा
उदयपुर. प्रदेश के जंगलों में आग की सर्वाधिक घटनाएं दक्षिण राजस्थान में होती है। इनमें भी सर्वाधिक उदयपुर व प्रतापगढ़ जिले में। इसकी बानगी इसी से समझी जा सकती है कि पिछले सवा दो साल में ही उदयपुर जिले में 3013 तो प्रतापगढ़ में 1975 बार जंगल धधके। तलहटी क्षेत्र में लगने वाली आग पर तो दमकल के माध्यम से काबू कर लिया जाता है, लेकिन ऊंचाई पर लगने वाली आग पर नियंत्रण मुश्किल होता है। ऐसे में उदयपुर में फॉरेस्ट फायर सेटी सेंटर की जरूरत महसूस की जा रही है। ताकि प्रशिक्षित फायर फाइटर आधुनिक तरीके से दावानल पर काबू पा सके।
दरअसल, फॉरेस्ट फायर सेटी सेंटर की शक्ल में तो नहीं, लेकिन कुछ इससे ही मिलते जुलते प्रस्ताव उदयपुर वन विभाग की ओर से पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार को भेजे गए थे। जिसमें उदयपुर में अग्नि रोकथाम प्रशिक्षण केंद्र अर्थात फायर सेटी सेंटर के लिए भी 60 लाख रुपए का प्रावधान था।
कुल 10 करोड़ रुपए के इन प्रस्ताव में ज्हाई लेवल ट्रेनिंग एंड मॉडर्न इक्वीपमेंट फॉर फायर प्रोटेक्शनज् के तहत जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए विभिन्न कार्य किए जाने थे। ये प्रस्ताव संभाग के जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए तत्कालीन मुयमंत्री अशोक गहलोत की उदयपुर में ही की गई घोषणा के तहत बनाए गए। जो फिलहाल राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।
उदयपुर में आग के मनुष्य जनित कारण ज्यादा
-आदिवासी समुदाय में मन्नत पूरी होने पर मगरा स्नान की परपरा -महुआ के फूल से कच्ची शराब बनाने के लिए ग्रामीण भट्टियां बनाते हैं, जिन्हें जलती छोड़ देते हैं।
-महुआ के फूल के लिए ग्रामीण पेड़ों के नीचे आग लगा देते हैं।

-शहद एकत्रित करने से पहले छत्तों से मधुमिक्खयां उड़ाने के लिए।

-जंगल के आस कच्चे घर बनाने के लिए केलूू पकाने के कारण।
-जंगल के आसपास भूमि पर अतिक्रमण के उद्देश्य से भी आग लगा दी जाती है।

-वाहनों के एग्जास्ट पाइप साफ नहीं होने से निकलने वाली चिंगारी सूखे पत्तों के सपर्क में आने से।
– जलती हुई बीड़ी, सिगरेट सूखे पत्तों पर फेंकने से चिंगारी आग का रूप ले लेती है।

प्रदेश के सर्वाधिक वनाच्छादित जिलों में आग की घटनाओं पर एक नजर (कुल घटनाएं-17 अप्रेल तक)
जिला 2022 2023 2024
उदयपुर 1264 493 1256 3013
प्रतापगढ़ 392 597 986 1975

बांसवाड़ा 131 117 157 405

डूंगरपुर 141 73 235 449

राजसमंद 154 47 209 410

चित्तौडग़ढ़ 161 105 143 409
सिरोही 185 37 60 282

पाली 87 62 130 279

बारां 149 202 59 412

बूंदी 68 88 08 164

स्रोत : फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया
ये थे प्रस्ताव के बिंदु
● उदयपुर में अग्नि रोकथाम प्रशिक्षण केंद्र

● आधुनिक अग्निशमन उपकरणों की प्रदर्शनी

● फायर फाइटिंग सेल अथवा कंट्रोल रूम निर्माण

● उदयपुर, चित्तौड़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर में ग्रामीणों की कार्यशालाएं
● फायर बीटर्स, पॉवर ब्लोअर, प्रोटेक्टिव क्लॉथ जैसे उपकरणों की खरीद

● वन क्षेत्रों में छह मीटर चौड़ी नई अग्नि पट्टिकाओं का निर्माण व पुरानी का रखरखाव

● संभाग के जंगलों में वॉच टॉवर निर्माण
● संवेदनशील वन क्षेत्रों में स्टाफ के लिए बैरक निर्माण

● अस्थायी फायर वाचर्स की नियुक्ति

● अग्नि प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच के लिए जीप की खरीद

● अग्निशमन वाहन, ट्रेक्टर, टैंकर, पप आदि की खरीद उदयपुर संभाग में जंगलों में आग की घटनाएं काफी अधिक होती हैं। इन पर नियंत्रण के लिए पूर्व में ज्हाई लेवल ट्रेनिंग एंड मॉडर्न इक्वीपमेंट फॉर फायर प्रोटेक्शनज् के प्रस्ताव सरकार को भिजवाए गए थे। जो सरकार के पास विचाराधीन है। – मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक उदयपुर

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