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उमरिया

भेदभाव मिटाने व्यवहारिक बदलाव का हिस्सा बनने का दोहराया संकल्प

अहिंसा के रास्ते युवा पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का घोघरी में हुआ समापन

उमरियाMar 28, 2024 / 04:15 pm

ayazuddin siddiqui

Reiterated resolve to be a part of behavioral change to eliminate discrimination

Reiterated resolve to be a part of behavioral change to eliminate discrimination

उनकी आंखोंं में समता मूलक समाज बनाने का एक सपना जागा है। वे चाहते हैं कि उनके गांव में कोई भूखा, कोई कुपोषित न रहे। वे समाज में जारी छुआछूत, जाति-पंथ और लैंगिक भेदभाव को मिटाने के लिए स्वयं से समुदाय तक व्यवहारिक बदलाव का हिस्सा बनने को उत्सुक हैं। संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले ऐसे 40 युवा प्रतिनिधियों ने उमरिया जिले के ग्राम घोघरी में पांच दिवसीय अहिंसा के रास्ते युवा प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेकर अपने संकल्प को दोहराया है।

विकास संवाद ने 18 से 22 मार्च के दौरान अहिंसा के रास्ते युवा शिविर का आयोजन किया। जीवन में संवैधानिक मूल्य विषय पर केन्द्रित इस शिविर में उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, पन्ना, सतना, रीवा, शिवपुरी एवं भोपाल जिले के सामाजिक कार्यकर्ता एवं दस्तक युवा समूह प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर बंधुता, न्याय, समता, समानता और गरिमा जैसे मूल्यों को समझने-समझाने के साथ ही एक साथ जीने का अभ्यास किया और अपने गांव में बंधुत्व बढ़ाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम समन्वयक विश्वंभर त्रिपाठी ने बताया कि खाद्य एवं पोषण असुरक्षा से जूझ रहे 15 हजार परिवारों की स्थिति में सामुदायिक भागेदारी के परिणाम कुपोषण मुक्त गांप के रूप में दिखाई देने लगे हैं। शिविर में दलित आदिवासी समुदाय के साथ जारी जातीय भेदभाव और लैंगिक हिंसा की घटनाओं का उदाहरण देते हुए अश्विनी जाधव ने युवाओं को स्वयं जाति-धर्म से ऊपर उठकर समानता के लिए प्रयास करने की बात कही।

 

रोचक व सरल तरीके से समझाए मूल्य

 

शिविर की शुरुआत बंधुत्व जाल से हुई जिसमें युवाओं ने अपने मूल्यों की पहचान की। रविकांत, पूजा, लक्ष्मी, राजेंद्र, सम्पत के लिए चढ़ती और उतरती सीढ़ी का खेल संवैधानिक मूल्यों को समझने का रोचक और सरल तरीका रहा। इस खेल में कोई हारा नहीं बल्कि सभी को एक नई सीख मिली। सचिन, अरविंद, दिनेश कोल, पूर्वी गुप्ता, वैशाली, बबली, राधा विश्वकर्मा और भारती ने लीडर को फॉलो करो, बोल भाई कितने, मेरी मर्जी खेल में एकता और न्याय का पहलू खोजा। छोटेलाल, जय कुमार, ज्योति, समीर, कामना और मोनिका के लिए सुबह 6 बजे जागना, उगते सूर्य को देखना और चिडिय़ों की चहचहाहट सुनना स्वतन्त्रता का सुकून भरा अनुभव रहा। प्रकृति सबसे समान व्यवहार करती है यही संविधान की सीख है। विजय, दुर्गेश और अवधेश के लिए जंगल मे नेटवर्क न होने से दोस्तों से मित्रता बढ़ाना एक अच्छा विकल्प रहा।

 

आकाशकोट में सद्भावना पिकनिक, फाग गीत भी गाए

 

शिविर के अंतिम दिन आकाशकोट अंचल के ग्राम धवईझर मे अजमत, दिनेश और संतोष ने दस्तक समूह के साथ मिलकर सद्भावना पिकनिक का आयोजन किया। इस मौके पर स्थानीय फाग गीतों का गायन भी हुआ। अवनीश, रमता, ममता, हिरेश, अजय, नगीना,छत्रसाल और रामाश्रय रावत के लिए यह प्रयोग भाईचारा और समानता को बढ़ाने की सीख देने वाला रहा। स्थानीय व्यंजन कोदो भात और कुटकी की खीर का लुफ्ट उठाया। इस बीच युवाओं ने ग्राम डोंगरगवां की प्राकृतिक खेती और बाजाकुंड गांव में समुदाय की सहभागिता से हुए जल संरक्षण कार्य का अवलोकन किया। इस आयोजन को सफल बनाने में भूपेंद्र त्रिपाठी, बिरेन्द्र गौतम, जितेंद्र, वृन्दावन एवं फूलबाई की विशेष भूमिका रही।

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