हैरानी की बात तो यह है कि एक शराब दुकान का पता ही शारदा मंदिर चौक है। 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने महेश्वर को पवित्र नगर घोषित किया, जबकि ओरछा को बाबूलाल गौर ने पवित्र नगर घोषित किया था। माई शारदा पीठ और मंडलेश्वर को शिवराज सिंह चौहान ने 2009 और 2010 में पवित्र नगर के रूप में अधिसूचित किया। बावजूद इसके यहां पर शराब बंदी लागू नहीं हो पाई है। यहां आबकारी विभाग हर साल ठेके कर शराब बेच रहा है। मैहर के लिए इस साल हुए ठेके में दुकानें 13.45 करोड़ में उठी हैं।
झूठा निकला आश्वासन
साल 2009 में सत्ताधारी दल भाजपा के तत्कालीन विधायक मोतीलाल तिवारी ने मैहर को शराब मुक्त किए जाने का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। इस पर जवाब देते हुए सरकार ने स्वीकार किया था कि मैहर पवित्र नगर घोषित किया जा चुका है। इसलिए शराबबंदी लागू की जाएगी। विभाग की ओर से यह आश्वासन भी दिया गया था कि 2010-11 के सत्रा में मैहर नगरपालिका क्षेत्र स्थित सभी शराब दुकाने हटा ली जाएंगी। लेकिन पांच साल बाद भी ऐसा नहीं हो पाया। एक शराब दुकान तो मैहर शारदा मंदिर के प्रवेश द्वार के समीप ही संचालित की जा रही है। जबकि दो अन्य व्यस्त बाजार क्षेत्र में है।
आबकारी मुख्यालय में अटका प्रस्ताव
दरअसल सतना जिले के धार्मिक स्थल मैहर और चित्रकूट को साल 2005 में ही पवित्र नगर घोषित किया गया था। जिसमें धार्मिक स्थल के 5 वर्ग किलोमीटर के दायरे को हीं शामिल किया गया था। इस आदेश की मनमानी व्याख्या किए जाने के कारण सीमा संबंधी विवाद खड़ा हो गया तो साल 2009 में स्पष्ट आदेश जारी कर पूरे निकाय क्षेत्र को पवित्र नगर की परिधि में शामिल किया गया।