जवानों को किया तैनात
आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी कैंपों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्हें रात के समय आसमान पर विशेष रूप से नजर रखने के निर्देश दिए गए है। बताया जाता है कि उन्हे विशेष तरह का चश्मा और दूरबीन दी गई है। इसे पहनने पर रात के समय भी दूर की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सीआरपीएफ के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ड्रोन की तलाश करने के लिए मुखबिरों का सहारा भी दिया गया है। उन्हें किसी भी तरह की संदिग्ध वस्तु उड़ते हुए दिखाई देने पर तुरंत सूचना देने कहा गया है। साथ ही स्थानीय लोगों के जरिए भी जानकारी जुटाई जा रही है।
छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के 9 जिलों पर निगाह
डीजीपी ने विभागीय अधिकारियों के साथ अभियानों की समीक्षा नक्सलियों के खिलाफ एमएमसी (मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़) जोन के तहत आने वाले 9 जिलों में आक्रामक अभियान चलाया जाएगा। योजना के अनुसार आगामी 5 महीनों तक फोर्स लगातार प्रभावित इलाकों में मूवमेंट करेगी। इसमें स्थानीय फोर्स के साथ ही केंद्रीय फोर्स के जवान भी शामिल होंगे। शनिवार को पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने पीएचक्यू में नक्सलियों के खिलाफ राजनांदगांव, कवर्धा, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, भंडारा, गोंदिया, नागपुर और गढ़चिरौली में चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने एमएमसी जोन में सक्रिय नक्सलियों की संख्या के संबंध में जानकारी ली। बैठक में प्रमुख रूप से दुर्ग रेंज के आईजी विवेकानंद, इंटेलिजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक जयदीप सिंह, कवर्धा, राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक और एसआईबी के अधिकारी उपस्थित थे।
त्रिकोणीय क्षेत्र में सक्रिय
छत्तीसढ़ के राजनांदगांव जिले की की सीमा से सटे हुए महाराष्ट्र के गोंदिया और मध्यप्रदेश के बालाघाट क्षेत्र में नक्सली सर्वाधिक सक्रिय है। इस त्रिकोण क्षेत्र में अभियान चलाने के लिए रणनीति बनाई गई है। डीजीपी इसकी समीक्षा करने के लिए सप्ताहभर बाद राजनांदगांव और कवर्धा में बैठक लेंगे। उनकी अनुमति मिलते ही राजनांदगांव में तैनात आईटीबीपी और जिला फोर्स, कवर्धा में एसटीएफ और छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल द्वारा संयुक्त रूप से ऑपरेशन को शुरू किया जाएगा। बता दें कि इस समय सीमा से सटे इलाकों में खुफिया सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
चार अतिरिक्त हेलीकॉप्टर होंगे तैनात
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को जल्दी ही 4 हेलीकाप्टर मिलेंगे। इसे नक्सली प्रभावित बस्तर में तैनात जवानों की सहायता के लिए तैनात किया जाएगा। इनके मिलने के बाद फोर्स के पास कुल 11 हेलीकाप्टर हो जाएंगे। केंद्र सरकार से इसकी अनुमति मिलने के बाद विभागीय अधिकारी इसकी तैयारियों में जुटे हुए है। इसके लिए प्रभावित क्षेत्रों के अंदरूनी इलाके के कैंपों में 50 हेलीपैड में बनाए गए है। बताया जाता है कि सीआरपीएफ ने दिल्ली स्थित मुख्यालय को 7 महीने पहले प्रस्ताव भेजा था। इस दौरान विभाग के अधिकारियों द्वारा मौखिक स्वीकृति दी गई थी। इसके बाद से पायलट(चालक) और रखने के लिए जगदलपुर स्थित विमानतल प्रशासन से अनुमति मांगी गई थी। बता दें कि सीआरपीएफ के पास इस समय स्वयं का कोई हेलीकाप्टर नहीं है। उनकी सहायता करने के लिए एयरफोर्स और बीएसएफ के हेलीकाप्टरों को तैनात किया गया है। जरूरत पडऩे पर उनसे हेलीकाप्टर मंगवाए जाते हैं ।
संचालन के लिए टीम
हेलीकाप्टर का संचालन करने के लिए सीआरपीएफ की एक अलग यूनिट बनाई जाएगी। इसके लिए कमांडेंट अथवा एसपी स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वह ईंधन और उड़ान के साथ ही सारी व्यवस्था करेंगे। बता दें कि इस समय एयरफोर्स के हेलीकाप्टर का संचालन रायपुर स्थित मुख्यालय से किया जाता है। उन्हें छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड और ओडिशा में तैनात फोर्स के लिए किया गया है।
अभी 7 हेलीकॉप्टर
नक्सली मोर्चे पर तैनात जवानों की सहायता के लिए इस समय 7 हेलीकाप्टरों को तैनात किया गया है। इसमें एयरफोर्स के 4 एमआई-17 और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के पास 3 हेलीकाप्टर है। इनका उपयोग बीमार, घायल और शहीद होने वाले जवानों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए किया जाता है। वहीं प्राकृतिक आपदा और आपात स्थिति निर्मित होने पर जवानों को गंतव्य स्थान पहुंचाने के लिए किया जाता है। इनमें से एयरफोर्स के हेलीकाप्टरो में नाइट लैंडिग करने में सक्षम है। वहीं बीएसएफ के हेलीकाप्टरों के सामान्य होने के कारण दिन के समय उपयोग किया जाता है।
पैनी निगाह
आसमान पर ड्रोन और उसे उड़ाने वाले की तलाश करने जवानों को अपने ड्रोन उड़ाने कहा गया है। साथ ही सभी कैंपों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है। हेलीकाप्टरों के लिए विभाग की ओर से सीआरपीएफ मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था। इसकी स्वीकृत कर जल्दी ही हेलीकाप्टर को भेजने का आश्वासन दिया गया है।
बिधानचंद्र पात्रा, प्रवक्ता सीआरपीएफ छत्तीसगढ़
Click & Read More Chhattisgarh News.