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सुकमा

सौ साल से जुगाड़ की नाव ही ग्रामीणों का बना सहारा, आज तक नहीं देखा 102 व 108

जिले की गंजेनार पंचायत सड़क और पुल के आभाव में दो पाटों में बटी हुई हैं। नदी के उस पार बसा गंजेनार में कस्तूरी के आदिवासी ग्रामीण आज भी सड़क, पुल, स्वास्थ्य, पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं।

सुकमाNov 04, 2018 / 01:07 pm

Badal Dewangan

seoni

सौ साल से जुगाड़ की नाव ही ग्रामीणों का बना सहारा, आज तक नहीं देखा 102 व 108

जगदीश माहेश्वरी/सुकमा . जिले की गंजेनार पंचायत सड़क और पुल के आभाव में दो पाटों में बटी हुई हैं। नदी के उस पार बसा गंजेनार में कस्तूरी के आदिवासी ग्रामीण आज भी सड़क, पुल, स्वास्थ्य, पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। नदी के उस पार बसा गंजेनार पंचायत के ग्राम कस्तूरी जहां 220 आदिवासी परिवार निवासरत हैं। नदी पर पुल और सड़क नही होने से ग्राम पंचायत मुख्यालय से कट गया है। ग्रामीण देवा का कहना है की ग्राम पंचायत से जुड़े कामो के लिए भी आने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। गांंव में मिडिल तक ही सरकारी स्कुल है। उच्च शिक्षा और राशन के लिए लोगो को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। गांव तक पहुंचने वाला रास्ता काफी जर्जर हो चूका है। मिटटी सड़क पर मुरुमिकरण नही हुआ है जिसके कारण बारिश में सड़क पर चलना मुश्किल भरा होता है।

नहीं देखे 108 और 102 सेवा
सड़क और पुल के साथ गांव में दुरसचार सेवा भी नही है। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों की महत्वपूर्ण सेवा 102 और 108 का लाभ कस्तूरी के ग्रामीणों को नही मिल रहा है। ग्रामीणों ने आज तक गांव में 102 और 108 सेवा देखि तक नही । गांव तक बिजली जरूर पहुंची लेकिन कई दिनों तक गुल रहती है या तो लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है।

कई बार जच्चा बच्चे को भी खतरा
गांव में सड़क और नदी पर पुल नही होने से स्वास्थ्य सुविधाएं गांव तक नही पहुंची हैं। गांव में स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी नही हैं। गर्ववती महिला प्रसव आज भी सदियों पुरानी परंपरा और दाई के भरोसे हो रही हैं। जिससे कई बार जच्चा बच्चा पर जान का खतरा बना रहता हैं।

जुगाड़ की नाव सहारा
ग्रामीणों का कहना है की नदी के रास्ते लोग ब्लाक और ग्राम पंचायत केवल जुगाड़ की नाव के सहारे पहुंचते हैं। 100 साल से अधिक समय से लोग नदी मार्ग से आवाजावी कर रहे हैं। लेकिन लोगों को नाव खरीदने के लिए कोई सरकारी मदद नही मिली। ग्रामीण स्वयं लकड़ी की नाव तैयार कर नदी पार कर रहे हैं।

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