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सुकमा

चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी बोले- बस्तर में मतदान करवाना कठिन, हर कदम पर हमले और विस्फोट का डर

बस्तर में लाल आतंक के साए व डर के माहौल के बीच मतदान कराना चुनाव आयोग के लिए शुरू से ही चुनौती पूर्ण रहा है।

सुकमाApr 14, 2019 / 10:45 am

Anjalee Singh

polling team

NMDC कर्मचारियों ने नहीं दिखाई मतदान में रूचि, तो अतिसंवेदनशील उदेला में हुई रिकॉर्ड 92% वोटिंग

गीदम. छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोकसभा चुनाव ख़त्म हो गए। इस चुनाव को पूरा कराने में चुनाव आयोग, जिले के समस्त प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारियों, शिक्षकों व समस्त विभाग के अधिकारी, पुलिसकर्मियों व सुरक्षा से जुड़े कर्मियों का सराहनीय योगदान रहा है। बस्तर में लाल आतंक के साए व डर के माहौल के बीच मतदान कराना चुनाव आयोग के लिए शुरू से ही चुनौती पूर्ण रहा है। लेकिन चुनाव आयोग व अधिकारी, कर्मचारियों व सुरक्षा से जुड़े सुरक्षा कर्मियों के योगदान से निर्विध्न लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो गए।


बस्तर में कोई भी चुनाव कराने में कर्मचारियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मतदान कार्य की ट्रेनिंग से लेकर मतदान पूर्ण कराने व गणना तक का सफर उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहता हैं। मतदान मे जाने के दौरान उसे यह भी नही पता होता है कि वह सकुशल घर वापस लौटेगा भी कि नहीं। साथ ही मतदान कर्मी के वापस लौटने तक के समय तक घर चिंता में रहते है। मतदान तिथि के एक से दो माह पूर्व ही तीन दौर का ट्रेनिंग शुरू हो जाता है।

जिसमे कर्मचारियों को मतदान से जुड़ी समस्त जानकारियां दी जाती है। उसके बाद मतदान तिथि से एक दिन पूर्व मतदान सामाग्री प्राप्त कर मतदान केंद्र की ओर प्रस्थान करते हैं। जिन कर्मचारियों का मतदान केंद्र घुर माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में होता है, उन्हें प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा के साये में हेलीकॉप्टर से दो दिन पहले ही पहुंचाया जाता है। इन मतदान कर्मियों को एक दिन पूर्व किसी सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जाता है। ये या तो मतदान केंद्र के पास का थाना होता है या उसके निकट स्थित सुरक्षा कर्मियों का कैम्प होता है।

जहां सुरक्षा के लिहाज से मतदान कर्मचारियों को रखा जाता है। अपने मतदान केंद्र तक पहुंचने में मतदान कर्मियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई मतदान केंद्र अत्यंत दुर्गम इलाके में स्थित होने पर मतदान कर्मचारियों को वहां तक का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है। कठिन मार्गो में मतदान सामग्री व अपने सामान के साथ चलना काफी कठिन कार्य होता हैं। कब हमला हो जाए या कब कहा बारूदी सुरंग विस्फोट हो जाए, इन सभी चीजों का डर एक मतदान कर्मी को हमेशा बना रहता है।

उसे अपना हर एक कदम काफी सोच समझ कर व जान की बाजी लगा कर उठाना होता है। कई मतदान कर्मियों को 10 से 15 किमी की दूरी पैदल चलकर जंगल व पहाडिय़ों को पारकर अपने मतदान केंद्र तक पहुंचना होता हैं।

इस लोकसभा चुनाव में ड्यूटी करने गये उपेट व पूरनतरई मतदान दल के कर्मियों ने बताया कि इस बार रात्रि में हमारा मतदान दल जंगल मे ही रुका था। रात में बारिश होने के कारण हमारे मतदान दल के एक साथी के ऊपर जहरीला सांप चढ़ गया था। किसी तरह सभी लोगों ने उसे दूर भगाया।

मतदान की तैयारी करनी पड़ती है। साथ ही चुनाव से संबंधित चुनाव आयोग के सभी दिशा निर्देशों का भी पालन करना पड़ता है। मतदान के आरम्भ से लेकर पूर्ण होने तक मतदानकर्मियों को अपने काम को गंभीरता व सजगता से करना पड़ता है। शांतिपूर्ण मतदान कराकर सकुशल वापस लौटने की जो प्रसन्नता एक मतदान कर्मी के चेहरे पर होती है। उसे समझना आसान नही होता है।

polling team

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