हत्या के दौरान मौजूद लोगों का बयान थाना प्रभारी द्वारा न लेकर अपनी मनमर्जी से रिपोर्ट तैयार की गई। कलमू धुरवा की मारपीट के दौरान उनके साथ कलमू जोगा, कलमू रामा व कवासी संतोष भी मौजूद रहे है। मारपीट के पूर्व मृतक व हत्यारों के मध्य कुछ बातबीच हुई है। उक्त बातचीत के समय हत्यारों ने धमकाते हुए कहा था कि चुनाव प्रचार में किसके लिऐ आये हो तब कलमू धुरवा भाकपा के पक्ष में चुनाव प्रचार की बात कहा था और बताया कि क्षेत्रीय विधायक कवासी लखमा बीस वर्षों से विधायक है उसने पहले सलाव जुडूम व अनेको नरहसंहार की घटनाए घटी हैं।
आखिक बीस वर्षों से इस क्षेत्र में कौन सौ ऐसा काम किया हैं इतने कहते हत्यारों ने कहा कि तुम लखमा राम के विरूद्व प्रचार करने आए हो कहते हुए डंडो से बुरी तरह मारपीट कर हत्या कर दी गई थी। मनीष कुंजाम ने बताया कि पुलिस अधीक्षक सुकमा को लिखित में शिकायत किया है। फुलबगड़ी थाना प्रभारी सुरेन्द्र पामभोई ने विधायक व मंत्री कवासी लखमा के दबाव में आकर घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कथन तोड़मरोड़कर लिखा है।
घटना के संबंध में गवाहों के बताए अनुसार थाना प्रभारी द्वारा विवेचना नहीं किया गया है। इस मामले पर कवासी लखमा पर संदेह है। और यह हत्या राजनीति षडय़ंत्र के तहत किया गया है। कवासी लखमा उक्त घटना को नक्सल घटना बताकर इस मामले की लीपा पोती कर रफादफा करवाना चाहते हैं। वही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला सच्चाई की परत खोलना चाहते थे।
इसी कारण थाना फुलबगड़ी के थाना प्रभारी को विधायक स्थानांतरित कर पुरूष्कृत करने का प्रयास किया थां लेकिन पुलिस अधीक्षक कवासी लखमा के मंशा अनुसार स्थानांतरित नहीं करने से पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला का स्थानातंरण रातो रात कर किया गया है। कुंजाम ने कहा कि मृतक कलमू धुरवा की हत्या की निष्पक्ष व उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को सजा दिलाने की हमारी लड़ाई है। ये राजनीतिक षडय़ंत्र के तहत उनकी हत्या हुई है।