नक्सलियों के गढ़ चिंतागुफा में तेदमूंता की धमक, आपसी संवाद से पुलिस दिखाती है यहां आदिवासियों को विकास का आईना
सुकमा. नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले सुकमा जिले के सबसे संवेदनशील चिंतागुफा थाना क्षेत्र में पहली बार तेदमूंता बस्तर अभियान के तहत पुलिस ने आदिवासियों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की। नक्सलियों के समर्थक कहे जाने वाले आदिवासियों ने एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में इस कार्यक्रम में शिरकत करके लाल सलाम को अंगूठा दिखा दिया।
विकास की बाट जोह रहे आदिवासियों के लिए सरकार बहुत दूर की चिडिय़ा है। ऐसे में चारों ओर खतरों से घिरे चिंतागुफा पुलिस ने दुर्गम जंगलों के बीच रहने वाले लोगों से संवाद कायम करके लाल आतंक के खिलाफ वैचारिक लड़ाई की शुरूआत की है।
भागते नहीं ध्यान से सुनते हैं पुलिस की बात पुलिस और सुरक्षा बलों का नाम सुनकर दूर से भागने वाले आदिवासियों का भय तेदमंूता जैसे कार्यक्रम के आयोजन से धीरे-धीरे कम हो रहा है। चिंतागुफा थाना प्रभारी नितेश सिंह ने बताया कि तेदमूंता बस्तर अभियान के तहत आदिवासियों से जब पुलिस बात करती है तो वे भागने की बजाय अब ध्यान से बातें सुनते हैं।
तेदमूंता अभियान के जरिए उन्हें विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। वहीं नक्सलियों के नापाक इरादों से हो रहे नुकसान के दूसरे पहलू को दिखाने का प्रयास किया जाता है। काफी हद तक ऐसी साभाओं में स्थानीय, गोंडी, हल्बी, दोरली भाषाओं के जरिए पुलिस उनसे संवाद करने का प्रसास करती है। जिसका सकारात्मक असर भी नजर आने लगा हैं।
500 ग्रामीण बने बैठक का हिस्सा चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नक्सल प्रभावित ग्राम करीगुंडम, तिमेलवाडा और बुरकापाल के लगभग 500 ग्रामीणों ने तेदमंूता कार्यक्रम में हिस्सा लिया। तेज धूप और गर्मी में पहुंचे आदिवासियों के लिए पुलिस ने भोजन व्यवस्था की थी। जवानों ने भी आदिवासियों के साथ बैठकर खाना खाया। सिविक एक्शन के तहत कपड़े, चप्पल, साड़ी व अन्य खाद्य सामग्री चिंतागुफा थाना प्रभारी नितेश सिंह ने बैठक में आए महिलाओं, बच्चों और आदिवासी युवकों को दिया। सकारात्मक विचारों के साथ नक्सल उन्मूलन के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया।
क्या है तेदमूंता आप भी जानें धुर नक्सल प्रभावित गांवों में रहने वाले आदिवासियों से संवाद करने के लिए तेदमूंता कार्यक्रम, अभियान के तौर पर साल २०१६ अक्टूबर से बिना शोरगुल के निर्बाध गति से बस्तर पुलिस के द्वारा चलाया जा रहा है। जिसमें स्थानीय पुलिस आदिवासियों से बातचीत करके उन्हें नक्सलियों के नापाक इरादों से अवगत कराने का प्रयास करती है। साथ ही उन्हें विकास के राह पर आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा का महत्व बताती है। आदिवासियों के मन से पुलिस व सरकार के भय को दूर करते हैं। स्थानीय लोग इसे तेदमूंता बस्तर अभियान के नाम से जानते हैं। जिसका मतलब होता है जागता बस्तर।
इनके मार्गदर्शन में चल रहा तेदमूंता बस्तर अभियान सुकमा जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान का प्रतीक बन चुके तेदमूंता अभियान एसपी अभिषेक मीना, एएसपी नक्सल ऑप्स शलभ सिन्हा, एएसपी संजय महादेवा , दोरनापाल एसडीओपी विवेक शुक्ला, एसडीओपी जगरगुंडा ईश्वर प्रसाद त्रिवेदी के मागदर्शन में अलग-अलग थानों क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। जिसका असर धीरे-धीरे दिखने लगा है। पुलिस के सहयोग के लिए आदिवासियों के बढ़ते हाथ इसका प्रमाण है।
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