मामला कादीपुर विकास क्षेत्र के कालिकापुर गांव से जुड़़ा है। जहां पर तैनात आंगनबाड़ी कार्यकत्री ज्ञानमती के खिलाफ अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार पांडेय ने गम्भीर आरोप लगाते हुए ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों तक शिकायत की है। आरोप के मुताबिक ज्ञानमती अपनी तैनाती स्थल से करीब बीस किलोमीटर दूर की रहने वाली हैं।
बावजूद इसके गलत ढंग से अपना निवास स्थल दर्शाते हुए उसके जरिये विभागीय अधिकारियों को मिलाकर आंगनबाड़ी पद पर अपनी नियुक्ति करा ली गयी। इतना ही नहीं ज्ञानमती के खिलाफ सरकारी योजना के लिए आ रहे धन को लाभार्थियों के पीछे खर्च करने के बजाय दायित्वों में अनियमितता बरतते हुए हेरा-फेरी करने का आरोप है। अधिवक्ता का कहना है कि ज्ञानमती के खिलाफ जो कोई भी शिकायत करता है उसके खिलाफ वह फर्जी केस दर्ज कराकर दबाव बनाने का भी प्रयास करती रहती है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसके जरिये बरती जा रही अनियमितता एवं सरकारी धन की हेरा-फेरी को उजागर करने की नीयत से उनके जरिये जिला कार्यक्रम अधिकारी से कई बिंदुओं पर जन सूचना मांगी गयी। जिन्होंने मांगी गयी सूचनाए उपलब्ध कराने के सम्बंध में बाल विकास परियोजना अधिकारी कादीपुर के पास आवेदन स्थानान्तरित कर दिया। आरोप है कि जहां के जिम्मेदार कर्मियों ने आंगनबाड़ी कार्यकत्री की पैरवी पर सूचना देने से किनारा खींचने एवं आवेदक पर सूचना मांगने से पीछा खींचने का दबाव बनाने को लेकर बगैर सही ढंग से निर्धारण किये ही दस हजार रूपये शुल्क जमा कर सूचना प्राप्त कर लेने के सम्बंध में चिट्ठी भेज दी गयी।
जिसकी जानकारी मिलने पर अधिवक्ता वीरेन्द्र पांडेय ने सम्बंधित कार्यालय से सम्पर्क कर दस हजार रूपये जमा करना भी चाहा, लेकिन उन्होंने जमा शुल्क की रसीद मांगी। दस हजार रूपये जमा करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी तैयार तो है पर वह किसी भी हालत में रसीद देने को राजी नहीं है। जिसके चलते अधिवक्ता ने बगैर रसीद दिये शुल्क जमा करने से मना कर दिया। जिम्मेदार कर्मियों की इस करतूत से मांगी जा रही जन सूचना की कार्यवाही काफी समय से अधर में लटकी हुई है। माना जा रहा है कि अनियमितता बरतने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री को बचाने के चक्कर में जिम्मेदारों के जरिये यह खेल खेला जा रहा है, क्योंकि कहीं न कहीं इस खेल को अंजाम तक पहुंचाने में वह भी शामिल है। जिसको लेकर उनकी भूमिका सवालों के घेरे में है।