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सुल्तानपुर

इस लोकसभा सीट पर कभी नहीं खुला सपा का खाता, महागठबंधन हुआ तो पलट जाएंगे सियासी समीकरण

लोकसभा चुनाव से पहले कुछ ऐसे बन रहे सियासी समीकरण…

सुल्तानपुरAug 19, 2018 / 02:26 pm

Hariom Dwivedi

Sultanpur lok sabha seat

इस लोकसभा सीट पर कभी नहीं खुला सपा का खाता, महागठबंधन हुआ तो पलट जाएंगे सियासी समीकरण


सुलतानपुर. लोकसभा चुनाव की आहट से जिले की सियासत भी धीरे-धीरे गरम होने लगी है। राजनीति के चतुर खिलाड़ियों ने चुनावी चौसर बिछानी शुरू कर दी है। हालांकि, महागठबंधन को लेकर नेताओं में बेचैनी है। सपा-बसपा और कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी असमंजस में हैं कि गठबंधन की स्थिति में किसे मौका मिलेगा? सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के मुताबिक, महागठबंधन होने की स्थिति में सुलतानपुर संसदीय सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है। बता दें कि सुलतानपुर संसदीय सीट पर हमेशा ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां से तीन बार भाजपा प्रत्याशी और दो बार बसपा प्रत्याशी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं, लेकिन इस सीट पर कभी भी समाजवादी पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई है।
सुलतानपुर संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को ही जीत हासिल हुई है। यूपी में सपा-बसपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन होने की स्थिति में अगर यह सीट कांग्रेस को मिली तो यहां से राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह की पत्नी व पूर्व मंत्री अमिता सिंह चुनावी मैदान में आ सकती हैं, जो महागठबंधन के अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले बीजेपी को टक्कर दे सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी अकेले तो बीजेपी को टक्कर नहीं दे पाएगी, लेकिन अगर सपा-बसपा के वोटर भी साथ आ गया तो वह कांग्रेस एक बार फिर इस सीट पर फतेह पा सकती है। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह चौथे नंबर पर रही थी, वजह है कि इनके पति राज्यसभा सदस्य डॉ. सजंय सिंह चुनाव जीतने के बाद कभी क्षेत्र की सुध नहीं लिये। इसी कारण जनता ने इन्हें नकार दिया था।
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पवन पांडे हो सकते हैं बसपा प्रत्याशी
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर महागठबंधन में सुलतानपुर संसदीय सीट बसपा के हिस्से में आती है तो बसपा में चुनाव लड़ने वाले नेताओं का टोटा है, इसलिए बसपा ले-देकर पूर्व प्रत्याशी पवन पाण्डे पर फिर दांव लगा सकती है और उनकी जीत भी ‘लोटा-धोती और जनेऊ’ प्लस दलित वोट बैंक पर टिकी होगी। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी शकील अहमद पर भी दांव लगा सकती है, जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन 2017 के चुनाव से पहले वह बसपा में शामिल हो गये थे। गौरतलब है कि हाल ही में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के कद्दावर नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें पूर्व मंत्री विनोद सिंह, दलित वर्ग में अपनी खास पैठ रखने वाले पूर्व विधायक भगेलूराम, मुस्लिम चेहरा मुजीब अहमद और पिछड़ी जातियों में पकड़ रखने वाले राजमणि वर्मा हैं।
किस नेता पर दांव लगाएगी समाजवादी पार्टी
सुलतानपुर संसदीय सीट पर कभी भी सपा प्रत्याशी को जीत हासिल नहीं हुई है। सीटों के बंटवारे में अगर सुलतानपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में आती है तो दल के पास लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कोई उल्लेखनीय नाम नहीं है। क्योंकि सपा के कद्दावर नेता शकील अहमद सपा को पहले ही गुडबॉय कह चुके हैं। सपा के एक और कद्दावर नेता अशोक पांडेय का निधन हो चुका है। ऐसे में जिले में सपा का ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जो बीजेपी के संभावित प्रत्याशी वरुण गांधी को टक्कर दे सके।
इस बार कांटे की लड़ाई होगी
2014 के लोकसभा चुनाव में सुलतानपुर संसदीय सीट से भाजपा सांसद वरुण गांधी विजयी हुए थे। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी पवन पांडे दूसरे नम्बर पर और समाजवादी पार्टी प्रत्याशी शकील अहमद तीसरे नंबर पर रहे थे, वहीं चौथे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह रही थीं। माना जा रहा है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी ही इस बार सुलतानपुर संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रत्याशी कोई भी हो महागठबंधन होने की स्थिति में कांटे की लड़ाई होगी।

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