मालूम हो कि शिकायतकर्ता बेलाल अहमद एडवोकेट ने जिला न्यायालय के पूर्व सहायक नाजिर विजय गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार के सहारे करोड़ों की सम्पत्ति अवैध तरीके से जुटा लेने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज व सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से शिकायत की। प्रकरण की जांच कई महीनों से फैमिली कोर्ट जज व बिजिलेंस अधिकारी आनन्द प्रकाश कर रहे हैं। बेलाल अहमद ने कई पेशियों पूर्व सहायक नाजिर व उनकी पत्नी से जुड़े 34 बैंक खातों का हवाला देते हुए तिथिवार ब्यौरा तलब करने एवं हास्टल की जांच कराने की मांग की थी। जिसके सम्बंध में विजय गुप्ता के जरिये सटीक जवाब पेश करने के बजाय महज खानापूर्ति की गयी थी। जिस पर बेलाल अहमद ने आपत्ति जताई और तिथिवार बैंक खातों का ब्यौरा तलब करने व हास्टल की जांच कराने की पुन: मांग की थी।
शिकायकर्ता की मांग पर जांच अधिकारी आनन्द प्रकाश ने हास्टल की जांच के लिए न्यायिक कर्मी केके मालवीय के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। जांच में पूर्व सहायक नाजिर का सहयोग न मिलने के कारण जांच टीम हास्टल की निरीक्षण रिपोर्ट पिछली पेशी पर नहीं सौंप पायी थी। फिलहाल अब जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट बिजिलेंस अधिकारी को सौंप दी है। बिजिलेंस अधिकारी आनंद प्रकाश ने हास्टल की कीमत आंकने के लिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजा है। हालांकि सहायक अभियंता नरेंद्र पुरी का कहना है कि उन्हें अभी जांच अधिकारी के आदेश की प्रति प्राप्त नही हो सकी है।
मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व सहायक नाजिर ने 24 अगस्त 2012 के बाद से वर्तमान समय तक के आय संबंधी विवरण जांच अधिकारी को उपलब्ध कराया है,लेकिन उसके पूर्व का विवरण नहीं उपलब्ध कराया था,जबकि उनकी नियुक्ति 21 फरवरी 2003 की बतायी जा रही है। जांच अधिकारी ने नियुक्ति के बाद से 24 अगस्त 2012 तक के वेतन संबंधी विवरण संबंधित लिपिक से तलब की है।
वहीं शिकायतकर्ता ने पूर्व सहायक नाजिर व उनके कुछ करीबियों के जरिए शिकायत न वापस लेने पर जान से मार डालने की धमकी देने एवं जांच जारी रहने तक स्थानांतरण के संबंध में मांग की थी,फिर भी अभी तक संबंधित विभाग ने विजय गुप्ता के स्थानांतरण पर कोई कदम नहीं उठाया है। वहीं शिकायकर्ता को अभी तक कोई सुरक्षा नहीं मिली है आैर न ही आवेदन के बावजूद शस्त्र लाइसेंस ही जारी हो सका है। मिली जानकारी के मुताबिक इस प्रकरण की जांच शीघ्र ही निपटाने के लिए हाईकोर्ट से भी निर्देश मिला है। कई महीनों से चल रही इस जांच की कार्यवाहियो से पूर्व सहायक नाजिर की मुश्किलें कम होती नजर नही आ रही है।