बीते सालों में जिस तरह से इन पटाखों की वजह से बड़ी घटनाएं घट चुकी हैं। एक बात तो बिल्कुल साफ है कि अवैध पटाखा कारोबार किसी न किसी की शह पर चलता है। पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि नगर क्षेत्र में सिर्फ चार दुकानों को लाइसेंस मिला हुआ है और वो भी बाबूगिरी के चक्कर में रिनिवल के लिए मेज़ पर पड़ा हुआ है। ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर जिले में पटाखों की इतनी बड़ी खेप कहां से आती है। स्पष्ट है कि कई जगह अवैध तरीके से पटाखा बनाने का कारोबार चलता रहता है। लेकिन प्रशासन तभी चेतता है जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है।
पत्रिका संवाददाता ने अवैध और वैध पटाखों की दुकानों सें संबंधित गाइडलाइन के बारे में बात की तो चीफ फायर ऑफिसर ने बताया कि इस बार किसी भी दुर्घटना से निपटने के पूरे इंतजाम हैं। पटाखा व्यवसाइयों को भी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही जागरूकता के लिए कैम्पेन भी चलाया जा रहा है, जिससे आम जनमानस को भी इस तरह की दुर्घटना से बचाव का तरीका मालूम हो सके।