वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र से फिर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया और सपा प्रत्याशी सन्तोष पांडेय विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2017 में विनोद सिंह एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन इस बार भी जनता ने उन्हें बुरी तरह हराया। इस बार देवमणि द्विवेदी विधायक बने।
लगातार दो बार चुनाव हारने के बाद पहचान का संकट खड़ा जानकर विनोद सिंह राजनीतिक करवट बदलने वाले ही थे कि इसकी भनक बसपा सुप्रीमो मायावती को लग गई और उन्होंने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों का दोषी ठहराया और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अचानक हुए एक्शन से सन्न विनोद सिंह कुछ दिनों तक शांत रहे और जब लोकसभा चुनाव आया तो वे बिन बुलाए ही भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के चुनाव प्रचार में लग गए। जिले में काफी दिनों से यह सुगबुगाहट तेज थी कि वे बहुत जल्द भाजपा का दामन थामेंगे और वही हुआ भी।