अब बड़ा सवाल ये है कि केंद्र की सरकार नदियों की सफाई को लेकर तमाम योजनाये चला रही है। तो वही दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय का भी आदेश है कि मूर्तियों को नदियों में न प्रवाहित किया जाए।
“जिले का एक संगठन मूर्ति के नदी में विसर्जन का कर रहा है विरोध” सालों से जिले में लग रही दुर्गा मूर्तियों और गणेश की प्रतिमाओं को गोमती नदी में ही प्रवाहित किया जाता रहा है, हालांकि हर बार बात यही होती है कि मूर्तियों को नदियों में प्रवाहित नहीं किया जाएगा, लेकिन आस्था सब पर भर पड़ जाती है। इस बार हर बार की तरह नगर पालिका की तरफ से नदी के ठीक बगल बड़ा सा अस्थाई कुंड बनवा कर मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए कहा गया है। और दूसरी तरफ जिले की समाजसेवी संस्था गोमती मित्र मण्डल जी की पिछले कई सालों से गोमती के घाटों की साफ सफाई का जिम्मा उठाये हुए है। संस्था के सदस्य गोमती नदी की साफ सफाई के लिए हर दिन कोई न कोई कार्य करते रहते हैं। इसबार संस्था ने एक अनोखी पहल की है ।सीताकुंड घाट के सामने जहाँ से मूर्तियों को गोमती में विसर्जित किया जाता है उस जगह को बल्लियों के सहारे बंद कर दिया गया है। और संस्था के सदस्य अपना बैनर और पोस्टर लगा कर घाट पर ही बैठे हैं।सदस्यों का कहना है कि आने वाली प्रतिमाओं और समिति से निवेदन किया जाएगा कि नदी में मूर्तियों को प्रवाहित न करें।
“प्रशासन ने किया है घाट पर भारी पुलिस का बंदोबस्त, क्या होगा वैकल्पिक स्थान पर विसर्जन बड़ा?”
मूर्तियों के विसर्जन वाले स्थान पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है तो दूसरी तरफ गोमती मित्र मंडल का विरोध हालांकि मित्र मंडल का विरोध सांकेतिक है लेकिन प्रशासन किसी प्रकार का कोई रिस्क नही लेना चाहता। अब ऐसे में एक बड़ा सवाल तो है ही कि क्या आस्था इन बातों पर भारी पड़ेगी या फिर गोमती मित्र मंडल अपने इस मिशन में कामयाब होगा।